अपेंडिसाइटिस क्या है? - Appendicitis kya hai?
अपेंडिक्स शरीर का एक महत्वपूर्ण भाग होता है, जो एक छोटी थैली होती है। यह अंग बड़ी आंत के उस भाग से जुड़ा होता है जहां नली खुलती है। आंतों में संक्रमण, कब्ज, पेट के खराब बैक्टीरिया के बढ़ने के कारण अपेंडिक्स में सूजन आ जाती है या फिर इसकी नली में रुकावट आ जाती है। इस स्वास्थ्य स्थिति को अपेंडिसाइटिस कहा जाता है। यदि लंबे समय तक अपेंडिक्स की समस्या पर ध्यान न दिया जाए, तो यह फट भी सकता है और कुछ मामलों में यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
अपेंडिसाइटिस की स्थिति में डॉक्टर अपेंडिक्स के ऑपरेशन का सुझाव देते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अपेंडिक्स में सूजन जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न होती है। अपेंडिक्स के ऑपरेशन के लिए दो प्रकार के ऑपरेशन का सुझाव दिया जाता है - लेप्रोस्कोपिक अपेंडेक्टोमी और ओपन अपेंडिक्स रिमूवल सर्जरी। भारत के लगभग सभी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों में अपेंडिक्स का इलाज होता है।
अपेंडिसाइटिस के लक्षण क्या है? - Appendicitis ke lakshan
अपेंडिसाइटिस के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं -
- नाभि के पास अचानक दर्द शुरू होना जो पेट के दाहिने निचले भाग तक हो
- पेट में सूजन
- दस्त
- मतली (Nausea)
- उलटी
- भूख कम लगना
- लो-ग्रेड बुखार
सामान्य तौर पर अपेंडिसाइटिस का दर्द पेट के दाहिने निचले भाग में होता है, लेकिन गर्भावस्था में अपेंडिक्स थोड़ा ऊपर की ओर खिसक जाता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं में इस स्थिति में दर्द पेट के दाहिने ऊपरी भाग में होता है। अपेंडिसाइटिस एक आपातकाल स्थिति है, जिसका त्वरित इलाज महत्वपूर्ण है। इस स्थिति के लिए सबसे उत्तम इलाज अपेंडिक्स को निकालना ही है। अपेंडिसाइटिस के कम गंभीर मामलों में डॉक्टर दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। उन दवाओं से कुछ समय के लिए राहत मिल जाती है, लेकिन अपेंडिसाइटिस की स्थिति फिर से उत्पन्न हो सकती है।
क्या आप इनमें से किसी लक्षण से गुज़र रहे हैं?
अपेंडिसाइटिस के प्रकार - Appendicitis ke prakar
मुख्यतः अपेंडिसाइटिस दो प्रकार के होते हैं -
- एक्यूट अपेंडिसाइटिस (Acute appendicitis) - यह एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जो बहुत जल्दी विकसित होती है और लोगों को तुरंत प्रभावित करती है। इस स्थिति की पुष्टि लक्षण के आधार पर हो सकती है और इसके इलाज के लिए ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है।
- क्रोनिक अपेंडिसाइटिस (Chronic appendicitis) - यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रोगी को सूजन लंबे समय तक रहती है। इस स्थिति के कारण रोगी के शरीर में समस्या धीरे धीरे करके उत्पन्न होती है। इस प्रकार के अपेंडिसाइटिस में अपेंडिक्स फटता नहीं है और इसके लक्षण भी कम उत्पन्न होते हैं।
अपेंडिक्स को हटाने की आवश्यकता क्यों पड़ती है? - Appendectomy kyun kiya jata hai
जैसी ही रोगी को अपेंडिसाइटिस का निदान होता है, डॉक्टर सर्जरी का सुझाव दे देते हैं। अपेंडिसाइटिस वह स्थिति है, जिसमें रोगी के पेट में बहुत ज्यादा दर्द होता है, सूजन होती है और अपेंडिक्स संक्रमित हो जाता है। अपेंडिसाइटिस की स्थिति में अपेंडिक्स फट भी सकता है। यह एक गंभीर स्थिति है और लक्षण दिखने के 48 से 72 घंटों में रोगी को डॉक्टर से मिलना चाहिए। अपेंडिसाइटिस के कारण पेरिटोनाइटिस नाम का जानलेवा संक्रमण भी रोगी को परेशान कर सकता है।
अपेंडेक्टोमी के लिए जाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें!
इस बात की पुष्टि डॉक्टर भी करते हैं कि इलाज से पहले की तैयारी रोगी को इलाज के दौरान और बाद में बहुत मदद करते हैं। सर्जरी की तैयारी के लिए रोगी को सबसे पहले डॉक्टर के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। इसके साथ साथ रोगी को निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए -
- सर्जरी से पहले किए जाने वाले टेस्ट/ जांच की रिपोर्ट को साथ रखें।
- सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया की जांच अवश्य करवाएं।
- सर्जरी की योजना के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
- सर्जरी से पहले निर्धारित की गई दवाइयों का सेवन समय पर करें।
- सर्जरी से पहले खाली पेट रहने की सलाह डॉक्टर के द्वारा दी जा सकती है, जिसका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।
- सर्जरी वाले दिन अपने साथ किसी न किसी व्यक्ति को ज़रूर लाएं।
- आरामदायक और कपास के कपड़े साथ लाएं।
अपेंडिक्स के इलाज के दौरान होने वाली जांच - Appendix ke test
अपेंडिसाइटिस के निदान की शुरुआत लक्षणों से हो जाती है। डॉक्टर लक्षणों के आधार अन्य परीक्षण का सुझाव दे सकते हैं जैसे -
- रक्त परीक्षण: रक्त परीक्षण का सुझाव डॉक्टर के द्वारा दिया जा सकता है। इस परीक्षण से अपेंडिक्स की पुष्टि नहीं होती है। रक्त परीक्षण से संक्रमण और सूजन के लक्षण के बारे में पता चल सकता है।
- मूत्र परीक्षण: मूत्र पथ के संक्रमण और गुर्दे की पथरी की पुष्टि के लिए मूत्र (पेशाब) परीक्षण का सुझाव दिया जाता है। यह स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जो अपेंडिसाइटिस जैसी समस्या का मूल कारण साबित हो सकती हैं।
- इमेजिंग परीक्षण: अपेंडिक्स की तस्वीरें लेने के लिए डॉक्टर इमेजिंग परीक्षण जैसे अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे का सुझाव दे सकते हैं। इस परीक्षण से स्थिति की पुष्टि हो जाती है और इसके बाद डॉक्टर इलाज की योजना बना सकते हैं।
अपेंडिसाइटिस एक ऐसी समस्या है, जो व्यक्ति को किसी भी उम्र में परेशान कर सकता है। लेकिन यह समस्या सबसे ज्यादा किशोरावस्था में लोगों को परेशान करती है।
अपेंडिक्स के ऑपरेशन की प्रक्रिया और विधि
अपेंडिक्स के ऑपरेशन को अपेंडेक्टोमी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में अपेंडिक्स को ही शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है। आमतौर पर डॉक्टर अपेंडिसाइटिस के इलाज का सुझाव इसलिए देते हैं क्योंकि स्थिति तेजी से बिगड़ने लगती है। एक्यूट अपेंडिसाइटिस की स्थिति में अपेंडिक्स के अपने आप फटने की स्थिति निरंतरता के साथ उत्पन्न होती है। दो प्रकार से अपेंडिक्स का ऑपरेशन होता है -
- ओपन अपेंडेक्टोमी: यह एक ओपन सर्जरी है, जिसमें जनरल एनेस्थीसिया का प्रयोग होता है। यह एक प्रकार की प्रक्रिया है, जिसमें सर्जन पेट के निचले भाग में 5 से 10 सेंटीमीटर लंबा कट लगाते हैं। इस ऑपरेशन में अपेंडिक्स को पूरी तरह से निकाल लिया जाता है और ऑपरेशन के अंत में चीरे को टांकों की सहायता से बंद कर दिया जाता है। डॉक्टर इस प्रक्रिया का चुनाव अपेंडिक्स के फटने की स्थिति में करते हैं।
- लेप्रोस्कोपिक अपेंडेक्टोमी (अपेंडिक्स का ऑपरेशन दूरबीन द्वारा): यह एक आधुनिक और मिनिमल इनवेसिव तकनीक है, जिसमें सर्जन 2 से 3 छोटे आकार के कट लगाते हैं। इस प्रक्रिया में भी जनरल एनेस्थीसिया का प्रयोग होता है, जिससे रोगी को ऑपरेशन के दौरान कोई भी दर्द और असहजता का सामना न करना पड़े। एक चीरे के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड गैस को डाला जाता है, जिससे सर्जन को पेट के अंदर के सारे अंग स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। दूसरे कट से दूरबीन और सर्जिकल उपकरण के साथ एक कैमरा डाला जाता है। अपेंडिक्स के दिख जाने के बाद उसे निकाल लिया जाता है।
जोखिम और जटिलताएं - Appendectomy ke jokhim aur jatiltaen
बाकी सभी प्रक्रियाओं की तरह ही अपेंडेक्टोमी के भी कुछ जोखिम और जटिलताएं हैं जैसे -
- रक्त हानि
- घाव पर संक्रमण
- पेट में सूजन, संक्रमण या पेट का लाल होना
- किसी भी कारणवश आंत का अवरुद्ध हो जाना
- अपेंडिक्स के आसपास के अंगों में चोट लग जाना
यह सारी जटिलताएं तभी उत्पन्न होती हैं, जब ऑपरेशन हो जाता है। यदि अपेंडिक्स फट जाए या फिर इस स्थिति को अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो रोगी को बहुत दर्द महसूस हो सकता है। हालांकि एक बार पेट की गुहा की परत में सूजन हो जाए या फिर वह संक्रमित हो जाए, तो दर्द की तीव्रता और भी ज्यादा बढ़ जाएगी जिससे रोगी और भी ज्यादा बीमार हो सकता है। चलने या खांसने पर पेट का दर्द बदतर हो सकता है।
अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद देखभाल कैसे करें?
जैसे ही ऑपरेशन खत्म होता है, रोगी को रिकवरी कक्ष में शिफ्ट कर दिया जाता है। डॉक्टर और नर्स रोगी के स्वास्थ्य की जांच तब तक करते हैं जब तक वह बेहोश रहता है। वह मरीज़ के ह्रदय गति, श्वास, रक्त चाप, नब्ज आदि की जांच करते हैं और पुष्टि करते हैं कि सब चीजें नियंत्रण में हो। अपेंडिक्स का ऑपरेशन दूरबीन द्वारा एक आउट पेशेंट प्रक्रिया है, जिसके बाद रोगी को उसी दिन या फिर एक दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। ओपन सर्जरी के बाद कुछ दिनों के लिए अस्पताल में रहने की आवश्यकता हो सकती है।
छुट्टी के बाद रोगी को घर पर ही अपनी देखभाल स्वयं करने की आवश्यकता होगी। निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन कर रोगी जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाता है।
- अस्पताल से छुट्टी मिल जाने के बाद घाव को साफ़ और सूखा रखें।
- फॉलो-अप सत्रों का खास ख्याल रखें।
- एक ही स्थान पर ज्यादा देर तक खड़े होने या बैठने से बचें।
- डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाओं का नियमित रूप से सेवन करें।
- ऑपरेशन के बाद एक ही स्थान पर लेटे रहने से भी बचें। हल्का फुल्का टहलना भी आवश्यक है।
अपेंडिक्स सर्जरी से ठीक होने में कितना समय लगता है?
ऑपरेशन के बाद ठीक होने का समय रोगी की सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है। दूरबीन से सर्जरी के बाद रोगी 1 से 3 सप्ताह के बाद अपने सामान्य दिनचर्या में वापस लौट सकता है। वहीं ओपन सर्जरी के बाद रोगी को स्वस्थ होने में 2 से 4 सप्ताह का समय लगता है। यदि किसी भी कारणवश अपेंडिक्स फट जाता है, तो चीरे के साथ एक ट्यूब लगाई जाती है, जिससे मवाद को शरीर से बाहर निकाला जा सकता है।
ऑपरेशन के बाद 8 दिन तक तरल पदार्थ खाने से रोगी को बहुत लाभ होता है। अपेंडेक्टोमी ऑपरेशन के बाद कुछ मरीजों को फेफड़ों में संक्रमण की आशंका भी रहती है। इस बचने के लिए अनुलोम विलोम करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान प्राणायाम करना भी फायदेमंद होता है।
अपेंडिक्स के ऑपरेशन का खर्च
अपेंडिक्स के ऑपरेशन का खर्च 40,000 रुपये से लेकर 70,000 रुपये तक हो सकता है। अपेंडिक्स के ऑपरेशन का खर्च कई कारकों के द्वारा प्रभावित हो सकता है। चलिए उनमें से कुछ कारकों के बारे में जानते हैं -
- अलग-अलग शहरों में अपेंडिक्स के ऑपरेशन में लगने वाला खर्च अलग अलग हो सकता है।
- अस्पताल के द्वारा दी गई सुविधाएं इलाज के अंतिम खर्च को प्रभावित कर सकती हैं।
- सर्जन और बेहोशी के दवा देने वाले विशेषज्ञ की फीस।
- प्रक्रिया का चुनाव इलाज के खर्च को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक है।
- डायग्नोस्टिक टेस्ट सर्जरी की कुल लागत को भी प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
- सर्जरी से पहले और बाद की दवाएं भी इलाज के पूरे खर्च को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
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अपेंडिक्स के लिए दूरबीन द्वारा ऑपरेशन के फायदे
दोनों ही सर्जरी सटीक और सुरक्षित प्रक्रिया है, लेकिन दूरबीन द्वारा अपेंडिक्स के ऑपरेशन के भी बहुत सारे लाभ है जैसे -
- ओपन अपेंडेक्टोमी में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है, वहीं दूरबीन द्वारा अपेंडिक्स के ऑपरेशन में 2 से 3 छोटे छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इसके कारण दूरबीन ऑपरेशन के बाद रोगी जल्द से जल्द रिकवर हो पाता है।
- दूरबीन ऑपरेशन में छोटे कट लगाए जाते हैं, जिसके कारण रक्त हानि और संक्रमण का खतरा बहुत कम हो जाता है।
- दूरबीन ऑपरेशन के बाद रोगी को दर्द भी कम होता है।
- दूरबीन से ऑपरेशन के बाद रोगी उसी दिन अपने घर वापस जा सकता है।
अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद डॉक्टर के पास कब जाएं
अपेंडिक्स के ऑपरेशन के बाद कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो समय के साथ ठीक हो जाती हैं। लेकिन यदि रोगी को निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है -
- बुखार या ठंड लगना
- सर्जिकल क्षेत्र पर सूजन, रक्त हानि या फिर किसी तरल पदार्थ का निकलना
- सर्जिकल क्षेत्र पर जलन
- उल्टी और भूख कम लगना
- पेट में दर्द, अकड़न या सूजन
- लगातार खांसी आना, सांस लेने में तकलीफ या सांस फूलना
- दो दिन या उससे ज़्यादा समय तक मलत्याग में समस्या होना
- दस्त लगना
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