ब्रेस्ट में गांठ क्या है?
जब ब्रेस्ट टिश्यू की ज्यादा वृद्धि होने लगती है तो उसे ब्रेस्ट में गांठ (ब्रेस्ट लम्प) कहते हैं। ब्रेस्ट की गांठ होने पर उस जगह पर सूजन, प्रोट्यूबेरेंस, उभार जैसा होता है जो उसके आसपास के ब्रेस्ट टिश्यू या दूसरे ब्रेस्ट के उसी हिस्से में टिश्यू से अलग महसूस होती है।
ब्रेस्ट में गांठ कई कारणों से होती है। गांठें सख्त, चिकनी, मुलायम या गोल हो सकती हैं। अधिकांश समय, स्तन में गांठ होने का मतलब यह नहीं होता कि ब्रेस्ट कैंसर है। कई अन्य स्थितियों के कारण भी स्तन में गांठ हो सकती है। स्तन गांठ का उपचार कारण पर निर्भर करता है। कुछ गांठों को किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। अधिकांश स्तन गांठें खतरनाक नहीं होती हैं।
ब्रेस्ट में गांठ के लक्षण
ब्रेस्ट टिश्यू की बनावट आमतौर पर गांठदार या रस्सी जैसी महसूस हो सकती है। पीरियड्स के दौरान, ब्रेस्ट में कोमलता भी हो सकती है जो आती और जाती रहती है।
यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है जो आपके स्तनों को प्रभावित करती है, तो ब्रेस्ट में आमतौर पर निम्नलिखित बदलाव देखे जा सकते हैं:
- स्तन में एक कठोर गाँठ जिसका आकार असामान्य है।
- त्वचा का एक हिस्सा जिसका रंग बदल गया है या लाल दिखता है।
- त्वचा पर संतरे की तरह गड्ढे पड़ना।
- एक गोल, चिकनी और फर्म स्तन गांठ।
- एक बड़ी, ठोस-सी महसूस होने वाली गांठ जो त्वचा के नीचे आसानी से इधर से उधर चलती है।
- स्तन के आकार या आकृति में परिवर्तन।
- निपल से लीकेज।
ब्रेस्ट में गांठ के साथ-साथ निपल में भी बदलाव हो सकता है, जैसे कि निपल का अंदर की ओर मुड़ना या फिर कुछ डिस्चार्ज होना जिसमें ब्लड है। ध्यान रखें कि स्तनपान के दौरान ब्रेस्ट में गांठ होना, एन्गोर्जमेंट या मिल्क डक्ट में रुकावट का लक्षण हो सकता है।
ब्रेस्ट में गांठ के कारण
ब्रेस्ट में में गांठ होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- ब्रेस्ट सिस्ट, जो कि सॉफ्ट और फ्लूइड से भरी हुई थैली होती हैं
- मिल्क सिस्ट, जो कि दूध से भरी हुई थैली होती हैं (ये स्तनपान के दौरान हो सकती हैं)
- फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्रेस्ट टिश्यू की बनावट में गांठ महसूस होती है और कभी-कभी दर्द भी होता है
- फाइब्रोएडीनोमा भी एक ऐसी स्थिति है जिसमें गैर-कैंसरयुक्त रबर जैसी गांठें जो ब्रेस्ट टिश्यूज़ के भीतर आसानी से चली जाती हैं और शायद ही कभी कैंसरग्रस्त होती हैं
- हमर्टोमा, जो एक सौम्य, ट्यूमर जैसी ग्रोथ है
- इंट्राडक्टल पैपिलोमा जो मिल्क डक्ट में गैर-कैंसर ट्यूमर ग्रोथ होता है
- लिपोमा जो धीमी गति से बढ़ने वाली, गैर-कैंसर फैटी गांठ होती है
- मास्टिटिस, जिसे ब्रेस्ट में संक्रमण भी कहते हैं
- चोट
- स्तन कैंसर
ब्रेस्ट में गांठ के प्रकार
स्तन गांठें (ब्रेस्ट लम्प्स) कई प्रकार की होती हैं, जो सौम्य या घातक दोनों ही तरह की हो सकती हैं।
1. सौम्य स्तन गांठें: सौम्य स्तन गांठ, ब्रेस्ट टिश्यू में होने वाली वो वृद्धि हैं जो कैंसरग्रस्त नहीं होती हैं। सौम्य स्तन गांठ के कई प्रकार और कारण होते हैं।
- फाइब्रोएडीनोमा: ये ब्रेस्ट में गाँठ होने का सबसे सौम्य और आम प्रकार है जो मुख्य रूप से 20 और 30 वर्ष की महिलाओं में होता है, लेकिन किसी भी उम्र में हो सकता है। फाइब्रोएडीनोमा का निदान शारीरिक परीक्षण, मैमोग्राम या ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जा सकता है। फाइब्रोएडीनोमा छूने पर रबर जैसा महसूस हो सकता है और कहीं भी किसी भी तरह से घूम सकता है। इनमें दर्द नहीं होता है, आकार भी अलग-अलग होता है, और ब्रेस्ट टिश्यू में कहीं भी बन सकते हैं।
- फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट: फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट, घने ब्रेस्ट टिश्यू वाली महिलाओं में होते हैं। ये तब होते हैं जब एक महिला के पीरियड्स के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव होता है। यदि पीरियड्स के बाद भी नई स्तन गांठ दूर नहीं होती है, तो इसकी जांच किसी डॉक्टर द्वारा की जानी चाहिए।
- ब्रेस्ट सिस्ट: ब्रेस्ट सिस्ट एक फ्लूइड से भरी हुई थैली होती है जो ब्रेस्ट टिश्यू के अंदर बढ़ती है। ब्रेस्ट सिस्ट, ब्रेस्ट की सतह पर बनता है और अंगूर जैसा महसूस हो सकता है। 35 से 50 वर्ष की उम्र की प्रीमेनोपॉज़ल महिलाओं में, ब्रेस्ट सिस्ट का होना सबसे आम हैं। इसका निदान अल्ट्रासाउंड से किया जा सकता है, और आमतौर पर इनके लिए उपचार की आवश्यकता नहीं होती है जब तक कि सिस्ट दर्द या परेशानी का कारण न बने।
- फैट नेक्रोसिस: फैट नेक्रोसिस, एक गैर-कैंसरयुक्त ब्रेस्ट की गांठ है जो स्तन में चोट लगने पर बन सकती है। स्तन की चोट में बायोप्सी या सर्जरी भी शामिल हो सकती है। ब्रेस्ट में फैट नेक्रोसिस का निदान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जा सकता है और आमतौर पर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
- लिपोमा: लिपोमा धीमी गति से बढ़ने वाली, फैट से युक्त गांठें होती हैं जो त्वचा की सतह के ठीक नीचे बनती हैं। लिपोमा का निदान शारीरिक परीक्षा, एक्स-रे, मैमोग्राम, या अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जा सकता है। उन्हें आमतौर पर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन यदि लिपोमा के कारण किसी भी तरह की असुविधा होती है तो सर्जरी से उन्हें हटाया जा सकता है।
- मास्टिटिस: मास्टिटिस, संक्रमण के कारण ब्रेस्ट टिश्यू के अंदर होने वाली सूजन है। मास्टिटिस की समस्या आमतौर पर स्तनपान कराने वाली महिलाओं में होती है, लेकिन यह स्तनपान नहीं कराने वाली महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी प्रभावित कर सकती है। इसका निदान शारीरिक परीक्षण के माध्यम से किया जाता है और आमतौर पर इसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है।
- स्तन का फोड़ा: जब ब्रेस्ट में फ्लूइड का संचय हो जाता है या मवाद भर जाता है तो उसे फोड़ा कहते हैं। इसका निदान आमतौर पर अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है। इसके उपचार के लिए अक्सर फ्लूइड को निकालने के लिए सर्जरी के साथ-साथ एंटीबायोटिक दवाओं की भी आवश्यकता होती है।
- मिल्क सिस्ट: मिल्क सिस्ट, या गैलेक्टोसेले, एक फ्लूइड से भरी थैली होती है जो विशेष रूप से स्तनपान कराने वाली महिलाओं में होती है। मिल्क सिस्ट, ब्रेस्टमिल्क से भर जाता है और मिल्क डक्ट में रुकावट का कारण बनता है। गर्भावस्था और स्तनपान से हार्मोन सामान्य होने के बाद, ये समस्या अपने आप ठीक हो जाती है।
- इंट्राडक्टल पेपिलोमा: इंट्राडक्टल पेपिलोमा, एक मस्से जैसी गांठ होती है जो ब्रेस्ट की मिल्क डक्ट्स में विकसित हो सकती है। इसका निदान नैदानिक परीक्षण, अल्ट्रासाउंड या मैमोग्राम और कभी-कभी बायोप्सी के माध्यम से किया जाता है। इंट्राडक्टल पेपिलोमा को अक्सर सर्जरी के माध्यम से हटा दिया जाता है।
2. ब्रेस्ट कैंसर की गांठें
कैंसरग्रस्त स्तन गांठों को अक्सर "घातक ट्यूमर" कहा जाता है। एक घातक ट्यूमर, असामान्य टिश्यू का एक समूह होता है जिसमें कैंसर सेल्स होते हैं। स्तन कैंसर की गांठ या ट्यूमर, ब्रेस्ट या बगल में दिखाई दे सकती है। उनका आकार और बनावट अलग हो सकती है, उनमें दर्द हो भी सकता है और नहीं भी, और त्वचा के माध्यम से महसूस भी हो सकते हैं या नहीं भी हो सकते हैं।
ब्रेस्ट में कैंसर वाली गांठ के कई चेतावनी वाले संकेत होते हैं जिनसे सावधान रहना चाहिए:
- ब्रेस्ट टिश्यू में एक नई गांठ, उनका मोटा होना या सूजन
- एक गांठ जो छूने पर कठोर लगती है
- पहले से ही एक ऐसी गांठ का होना जो अचानक बढ़ने या बदलने लगती है
- एक गांठ जो मासिक धर्म के बाद ठीक नहीं होती
- एक गांठ जो दर्द या परेशानी का कारण बनती है
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ब्रेस्ट में गांठ के इलाज की आवश्यकता क्यों है?
ब्रेस्ट में गांठ होने के कई कारण हो सकते हैं। पुरुष और महिलायें दोनों ही इस समस्या से प्रभावित हो सकते हैं लेकिन महिलाओं में ये अधिक आम हैं। कभी-कभी, कोई गांठ या अन्य बदलाव कैंसर का संकेत हो सकता है। हालांकि अधिकांश गांठें कैंसरग्रस्त नहीं होती हैं पर फिर भी गाँठ का पता चलने पर डॉक्टर को दिखाना और सलाह लेना ज़रूरी है। भले ही कोई गांठ कैंसर न हो, फिर भी उसे उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
ब्रेस्ट में गांठ के इलाज के लिए जाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें!
यदि आपको कोई गांठ दिखे, तो ब्रेस्ट की शारीरिक जांच के लिए अपने डॉक्टर से मिलें। प्राथमिक चिकित्सक या स्त्री रोग विशेषज्ञ से अच्छी तरह से शारीरिक जांच कराएं। इसका मतलब है कि आपके डॉक्टर आपके स्तन में गांठ को महसूस करने के अलावा और भी टेस्ट्स करवा सकते हैं।
ब्रेस्ट में गांठ की सर्जरी से पहले की तैयारी एवं निर्देश
सर्जरी की तैयारी
- सुनिश्चित करें कि सर्जरी के बाद आपको घर ले जाने के लिए कोई आपके साथ हो। एनेस्थीसिया और दर्द की दवा लेने के बाद, गाड़ी चलाना या अकेले घर जाना असुरक्षित होगा।
- सर्जरी के प्रकार और उसके जोखिम, लाभ के बारे में जानें।
- यदि आप एस्पिरिन या कोई अन्य रक्त पतला करने वाली दवा लेते हैं, तो अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या आपको सर्जरी से पहले इसे लेना बंद कर देना चाहिए।
- अपने डॉक्टर को उन सभी दवाओं और नेचुरल सप्लीमेंट्स के बारे में बताएं जो आप लेते हैं। कुछ आपकी सर्जरी के दौरान समस्याओं का खतरा बढ़ा सकते हैं। आपका डॉक्टर आपको बताएगा कि क्या आपको सर्जरी से पहले इनमें से कोई भी लेना बंद कर देना चाहिए और कितनी जल्दी करना चाहिए।
- खाना-पीना कब बंद करना है, इसके बारे में निर्देशों का ठीक से पालन करें।
- अपनी सर्जरी के लिए आने से पहले स्नान या शॉवर लें। लोशन, परफ्यूम, डियोडरेंट या नेल पॉलिश न लगाएं।
- सर्जिकल साइट को स्वयं शेव न करें।
- सारे आभूषण उतार दें। और यदि आप कॉन्टेक्ट लेंस पहनते हैं तो उन्हें भी निकाल लें।
- अपने साथ एक आरामदायक, सहायक ब्रा साथ लाएँ। सर्जरी के बाद पहले सप्ताह तक आपको इसे हर समय पहनना होगा, यहां तक कि रात के दौरान भी।
ब्रेस्ट में गांठ के इलाज के दौरान होने वाली जांच
- छाती का एक्स-रे और इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईकेजी) से यह पता चलेगा कि आपके फेफड़े और हृदय ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं।
- ब्लड टेस्ट्स से ब्लड काउंट, लिवर और किडनी की कार्यप्रणाली का पता चलेगा और रक्तस्राव या संक्रमण के जोखिम की जांच भी हो सकेगी।
- यूरिन टेस्ट से किडनी की कार्यप्रणाली के बारे में पता चल सकता है और संक्रमण का पता चल सकता है।
- कभी-कभी ट्यूमर के स्थान और आकार की जांच के लिए अन्य परीक्षण, जैसे सीटी स्कैन करवाए जा सकते हैं। सीटी स्कैन यह भी निर्धारित कर सकता है कि ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है या नहीं।
ब्रेस्ट में गांठ की शल्य चिकित्सा प्रक्रिया और विधि
लम्पेक्टॉमी आमतौर पर सामान्य एनेस्थीसिया का उपयोग करके की जाती है। एनेस्थीसिया की वजह से प्रक्रिया के दौरान आपको नींद आ जाती है।
आपका सर्जन ट्यूमर पर या उस हिस्से में जहां वो जुड़ा हुआ है वहां पर एक चीरा लगाएगा और ट्यूमर और कुछ आसपास के टिश्यूज़ को हटा देगा, और इसे आगे की जांच के लिए प्रयोगशाला में भेज देगा।
यदि आपकी सेंटिनल नोड बायोप्सी हो रही है तो वह सेंटिनल लिम्फ नोड या नोड्स के लिए भी ऐसा ही करेगा या यदि आप एक्सिलरी लिम्फ नोड डिसेक्शन करवा रहे हैं तो एक्सिलरी लिम्फ नोड्स के लिए भी ऐसा ही करेगा।
फिर सर्जन ब्रेस्ट पर लगाए गए चीरों को टांके का उपयोग करके बंद कर देगा जो या तो अपने आप घुल जाएंगे या बाद में आपके डॉक्टर द्वारा हटा दिए जाएंगे। इन टांकों के ऊपर आपका सर्जन पतली चिपकने वाली पट्टियाँ भी लगा सकता है या गोंद का उपयोग करके इसे ठीक होने तक बंद रख सकता है।
सर्जरी के बाद, आपको एक रिकवरी रूम में ले जाया जाएगा। इस दौरान आपके ब्लड प्रेशर, पल्स और ब्रीदिंग पर नजर रखी जाएगी।
यदि आपकी आउट पेशेंट सर्जरी है - आमतौर पर लम्पेक्टोमी और सेंटिनल नोड बायोप्सी तो आपकी स्थिति स्थिर होने पर आपको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
यदि आपकी एक्सिलरी लिम्फ नोड डिसेक्शन हुआ है, तो आपको दर्द या रक्तस्राव का अनुभव होने पर एक या दो दिन के लिए अस्पताल में रहने की आवश्यकता हो सकती है।
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