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डायबिटिक फुट अल्सर का सफल इलाज

डायबिटिक फुट अल्सर के मरीजों को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह डायबिटीज के मरीजों को पैर के निचले हिस्से में होने वाले छाले होते हैं जिन्हें अल्सर कहते हैं। जिन लोगों में शुगर का लेवल हाई होता है, उनमें डायबिटिक फुट अल्सर होने की... और पढ़ें आशंका अधिक होती है। अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया गया तो स्थिति गंभीर हो सकती है और मरीज को सर्जरी की करानी पड़ सकती है। हम डायबिटीक फुट का अल्सर का इलाज अधुनिक तकनीक और बेहद कम चीरों की मदद से करते हैं। यदि आप इस प्रकार की समस्या से ग्रसित हैं तो इसके इलाज के लिए आप हमें चुन सकते हैं।

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डायबिटिक फुट अल्सर क्या है?

डायबिटिक फुट अल्सर डायबिटीज के मरीजो में होता है। इस स्थिति में रोगी के पैर में एक खुला घाव हो जाता है। यह घाव तलवे की सतह पर या उसके आसपास स्थित होता है। डायबिटिक फुट अल्सर टाइप 1 और टाइप 2 दोनों प्रकार के डायबिटीज के रोगियों को प्रभावित कर सकता है। यह पैर में लगने वाली किसी चोट के कारण बहुत जल्दी से होते हैं। यदि इनका इलाज न कराया जाए तो यह धीरे-धीरे गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण बन सकते हैं।

डायबिटिक फुट अल्सर के कारण संक्रमण का जोखिम होता है, जो हड्डी तक फैल सकता है। पैरों के अल्सर को ठीक होने में कई हफ्तों या कई महीनों का समय लग सकता है। यह दर्दनाक होता है और रोगी के पैरों में संवेदनशीलता को कम कर देता है। आमतौर पर यह बीमारी अधिक उम्र के लोगों और हाई शुगर के पेशेंट को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। इसके कारण कई बार पैर काटने की स्थिति भी आ जाती है।

डायबिटिक फुट अल्सर के लक्षण

डाबिटिक फुट अल्सर के लक्षणों में शामिल हैं:

  • प्रभावित क्षेत्र पर त्वचा का काला पड़ना।
  • घाव वाली जगह पर कुछ भी महसूस न होना।
  • प्रभावित क्षेत्र सुन्न हो जाना।
  • अल्सर के कारण आसपास के एरिया में दर्द होना।
  • पैरों में झुनझुनी रहना।
  • यह दिखने में लाल होता है।
  • छाले के आस-पास सूजन व लालिमा होना।
  • दर्द, जलन और खुजली होना।
  • अल्सर के कारण घाव से रंगहीन द्रव या पस निकलना
  • घाव से बदबू आना और घाव के चारों तरफ रंगहीन या असाधारण ऊतक बनना

डायबिटिक फुट अल्सर के कारण

डायबिटिक फुट अल्सर के निम्न कारण हो सकते हैं:

  • डायबिटीज मेलिटस के मरीज जो इन्सुलिन का इस्तेमाल करते हैं।
  • शरीर का वजन सामान्य से अधिक होना।
  • धूम्रपान व तंबाकू का इस्तेमाल करना।
  • अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना।

डायबिटिक फुट अल्सर के ट्रीटमेंट की आवश्यकता क्यों है?

डायबिटिक फुट अल्सर का यदि समय पर इलाज नहीं कराया जाता है तो यह कई गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों को जन्म दे सकता है। इसके कारण मरीज को तंत्रिका और रक्त वाहिका को गंभीर क्षति होती है जिसके कारण त्वचा और हड्डी में संक्रमण हो सकता है। अल्सर में संक्रमण के कारण फोड़ा हो जाता है जो मवाद या खून से भरी होती है। इसके अलावा यदि इसके कारण रक्ति वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और उनमें रक्त प्रवाह नहीं होता तो इससे गैंग्रीन जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। इन तमाम परिस्थितियों से बचने के लिए मरीज को इसके इलाज की तुरंत आवस्यकता होती है।

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डायबिटिक फुट अल्सर का ट्रीटमेंट कराने से पहले ध्यान देने योग्य बातें!

डजायबिटिक फुट अल्सर की सर्जरी कराने से पहले मरीजों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

सर्जरी से पहले

  • अपनी बीमारियों से संबंधित सभी लक्षणों को डॉक्टर को खुलकर बताएं।
  • यदि आपको किसी दवा से एलर्जी है तो इसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें।
  • सर्जरी से पहले ब्लड थिनर जैसी दवाएं बंद कर दें। क्योंकि सर्जरी के दौरान हैवी ब्लीडिंग हो सकती है। जिससे मरीज के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है।
  • सर्जरी के 8 घंटे पहले कुछ भी न खाएं। पेट को एकदम खाली रखें। इससे सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला एनेस्थीसिया अच्छी तरह से अपना काम कर सकता है।
  • सर्जरी के कम-से-कम एक सप्ताह पहले एस्पिरिन जैसी दवाओं का इस्तेमाल बंद कर दें।

सर्जरी के बाद

  • सर्जरी पूरी होने के बाद, आपको तब तक ऑब्जर्वेशन रूम में रखा जाएगा जब तक एनेस्थीसिया का असर पूरी तरह से समाप्त न हो जाए|
  • होश में आने के बाद आपको जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
  • इस सर्जरी के दौरान मरीज को 24-72 घंटों के लिए अस्पताल में रहने की आवश्यकता हो सकती है।
  • सर्जरी के तुरंत बाद, आप शरीर के निचले आधे हिस्से में सुन्नपन महसूस करेंगे।
  • आपको दर्द या बेचैनी महसूस हो सकती है। हालांकि इसके लिए डॉक्टर आपको दवाएं दे सकते हैं। जिनका इस्तेमाल करने की सलाह आपको दी जाती है।
  • सर्जरी के बाद कम से कम दो दिन तक आपको पूरी तरह से बैड रेस्ट लेने की सलाह दी जाती है।

डायबिटिक फुट अल्सर ट्रीटमेंट की शल्य चिकित्सा प्रक्रिया और विधि

डायबिटिक फुट अल्सर का इलाज रोग की गंभीरता और उससे होने वाले जोखिमों पर निर्भर करता है। इसे दवाओं और सर्जिकल उपचार दोनों प्रकार से ठीक किया जा सकता है। यदि पैर का घाव दवाओं के प्रबंधन से ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर पैर के अल्सर के लिए सर्जरी की सिफारिश कर सकता है। सर्जरी की संभावना उस स्थिति में और अधिक बढ़ जाती है जब घाव के आसपास मृत या संक्रमित ऊतक अधिक मात्रा में उत्पन्न हो जाते हैं।

डायबिटीज के मरीजों को लोवर एक्सट्रीमिटी आर्टरी डिज़ीज़ भी होती है। इस स्थिति में पैरों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। ऐसे में जब पैर में कोई चोट लगती है तो उसे रक्त के माध्यम से मिलने वाला पोषण नहीं मिल पाता और मर्ज देखते-देखते बढ़ जाता है। इसके इलाज के डॉक्टर निम्न प्रक्रियाएं अपनाते हैं जो नीचे दी जा रही हैं।

डिब्रीमेंट: इस प्रक्रिया का उपयोग पैर के अल्सर से मृत या संक्रमित त्वचा और ऊतक को साफ करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया के जरिए डॉक्टर घाव के भीतर और उसके आसपास के एरियासे ऊतक को हटाने के लिए स्केलपेल का उपयोग करते हैं। इसके बाद घाव को कीटाणुनाशक घोल से धोते हैं। अल्सर का सफल उपचार करने के लिए डॉक्टर हफ्तों या महीनों के दौरान इस प्रक्रिया को एक से अधिक बार दोहरा सकते हैं।

डिब्रीमेंट के बाद, डॉक्टर घाव को एक पट्टी से ढंक देते हैं। मरीज को रोग ड्रेसिंग की आवश्यकता होती है। इसके बाद भी यदि मरीज को किसी भी प्राकर का दर्द या असुविधा होती है तो उसके लिए डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं दे सकते हैं।

वैसकुलर सर्जरी: अल्सर के इलाज के गई जाचों के माध्यम से अगर इस बात की पुष्टि होती है कि लोवर एक्सट्रीमिटी आर्टीरियल डिज़ीज़ के कारण पैर तक पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं हो पा रहा है तो रक्त प्रवाह बढ़ाने के लिए डॉक्टर एथेरेक्टॉमी करने की सलाह दे सकता है। इस प्रक्रिया के जरिए सर्जन रक्त में वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य सामग्रियों से आई रुकावट को दूर कर बंद धमनी को साफ कर देता है। इसके रक्त का संचरण सामान्य रूप से होने लगता है और रोग में आराम मिल जाता है।

इस प्रक्रिया में बैलून एंजियोप्लास्टी के जरिए एक स्टेंट डाली जाती है, जिससे रक्त वाहिका को खुला रखा जा सके। बैलून एंजियोप्लास्टी एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जो एक लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग करके की जाती है। एडवांस आर्टीरियल बलॉकेज, गैंग्रीन, या डेड टिशु की स्थिति में बैलून एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग नहीं की जा सकती है। इस स्थिति में डॉक्टर लेग बाइपास की सिफारिश कर सकते हैं।

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डायबिटिक फुट अल्सर ट्रीटमेंट से होने वाले जोखिम और जटिलताएँ

डायबिटिक फुट अल्सर के कारण मरीज को कई प्रकार के जोखिमों का समाना करना पड़ सकता है। यह हड्डियों में संक्रमण का कारण बनता है, इस प्रकार का अल्सर मरीज की दर्द वाली संवेदनाओं के सुन्न कर देता है जिससे उसे दर्द होते हुए भी दर्द की अनुभूति नहीं होती है। इससे होने वाले जोखिमों के बारे ने नीचे जानकारी दी जा रही है।

  • त्वचा और हड्डी में संक्रमण: डाबिटिक फुट अल्सर के बाद मरीज को हड्डी और स्किन में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • फोड़ा: इसके कारण मरीज को फोड़ा हो सकता है। जो दर्द, सूजन और लालिमा का कारण बन सकत है। इसे इलाज की आवश्यकता हो सकती है।
  • गैंग्रीन: डायबिटीज के मरीजों में शुगर का अस्थिर स्तर हाथ और पैर की उंगलियों वाली रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है। जब रक्त प्रवाह बंद हो जाता है, तो ऊतक मर सकते हैं। इससे गैंग्रीन होने संभावना बढ़ जाती है।
  • विकृति: तंत्रिका क्षति के कारण पैरों की मांसपेशियों कमजोर हो सकती हैं।
  • पैर की विकृत आकृति: मधुमेह आपके पैर की हड्डियों को इतना कमजोर कर सकता है कि वे टूट जाती हैं। साथी तंत्रिका क्षति के कारण संवेदना कम हो सकती है जिससे आपको हड्डियों में होने वाले दर्द का एहसास नहीं होता है। इसके कारण आप चलते रहते हैं और हड्डियों का शेप विकृत हो जाती है।

डायबिटिक फुट अल्सर के ट्रीटमेंट के बाद देखभाल कैसे करें?

डायबिटिक फुट अल्सर के ट्रीटमेंट के बाद मरीज को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • शुगर लेवल को कंट्रोल करें। मीठा खाने से बचें।
  • पैर पर दबाव न पड़ने दें। इससे घाव बढ़ सकता है।
  • सर्जरी के बाद डॉक्टर मरीज को आराम करने का सलाह देते हैं।
  • रिकवरी करने के लिए डॉक्टर द्वारा दी गईं दवाओं को समय वर इस्तेमाल करते रहें।
  • डायबिटिक फुट अल्सर की सर्जिकल प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इस सर्जरी के बाद मरीज को कम से कम 24 से 72 घंटे तक हॉस्पिटल में रहने की आवश्यकता होती है।
  • सर्जरी के बाद मरीज को कई प्रकार की जटिलाएं हो सकती है। इनसे बचाने के लिए डॉक्टर आपकी सघन निगरानी करते हैं।
  • सर्जरी के बाद शरीर को पैर में सुन्नता महसूस होती है इससे डरें नहीं। जैसे-जैसे घाव भरने लगता है और सर्जरी का समय आगे बढ़ना लगता है तो इससे होने वाला दर्द व सुन्नता अपने आप ही कम हो जाती है।
  • घाव वाली जगह को हमेशा कवर करके रखें और संक्रमण से बचाएं।

डायबिटिक फुट अल्सर ट्रीटमेंट के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?

डायबिटिक फुट अल्सर के इलाज के बाद ठीक होने में लगने वाला समय रोग की गंभीरता और उसे ठीक करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर निर्भर करता है। यदि अल्सर ज्यादा गंभीर नहीं है और दवाओं के जरिए ठीक हो सकता है तो यह ठीक होने में ज्यादा समय नहीं लेता है। लेकिन यदि अल्सर गंभीर है और गहरे घाव के साथ ब्लीडिंग और मवाद का रिसाव हो रहा है तो इसे सर्जिकल तरीके से ठीक किया जाता है। इस इलाज के बाद ठीक होने में मरीज को कम से कम चार सप्ताह का समय लग सकता है।

डायबिटिक फुट अल्सर ट्रीटमेंट का खर्च

भारत में डायबिटिक फुट अल्सर के इलाज की लागत घाव की गंभीरता पर निर्भर करती है। यह 40,000 रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक हो सकती है।

डायबिटिक फुट अल्सर ट्रीटमेंट के फायदे

डायबिटिक फुट अल्सर के निम्न फायदे हो सकते हैं:

  • डायबिटिक फुट अल्सर की सर्जिकल प्रक्रिया काफी जटिल होती है। इस सर्जरी के बाद मरीज को कम से कम 24 से 72 घंटे तक हॉस्पिटल में रहने की आवश्यकता होती है।
  • सर्जरी के बाद मरीज को कई प्रकार की जटिलाएं हो सकती है। इनसे बचाने के लिए डॉक्टर आपकी सघन निगरानी करते हैं।
  • सर्जरी के बाद शरीर को पैर में सुन्नता महसूस होती है इससे डरें नहीं। जैसे-जैसे घाव भरने लगता है और सर्जरी का समय आगे बढ़ना लगता है तो इससे होने वाला दर्द व सुन्नता अपने आप ही कम हो जाती है।
  • घाव वाली जगह को हमेशा कवर करके रखें और संक्रमण से बचाएं।
  • इस सर्जरी के बाद डॉक्टर मरीज को आराम करने का सलाह देते हैं।
  • रिकवरी करने के लिए डॉक्टर द्वारा दी गईं दवाओं को समय वर इस्तेमाल करते रहें।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से गुज़र रहे हैं?

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डायबिटिक फुट अल्सर ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर के पास कब जाएं

मिम्न लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी जाती है:

  • घाव के चारों ओर लालिमा, बढ़ी हुई गर्मी या सूजन
  • घाव से अतिरिक्त स्त्राव होना
  • घाव में मवाद बनना
  • घाव से गंध आना
  • बुखार या ठंड लगना
  • दर्द बढ़ जाना
  • घाव के चारों ओर कठोरता बढ़ जाना
  • पैर के अल्सर के कारण उसके आसपास का एरिया बहुत सफेद, नीला या काले रंग का हो गया है

डायबिटिक फुट अल्सर ट्रीटमेंट के बाद क्या खाना चाहिए क्या नहीं

क्या खाना चाहिए

  • डायबिटिक फुट अल्सर के मरीजों को भरपूर मात्रा में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए। इनमें लीन मीट और सीफूड, पोल्ट्री उत्पाद, अंडे और टोफू शामिल हैं।
  • साबुत अनाज और उच्च फाइबर युक्त और कार्बोहाइड्रेट आहार का सेवन करना चाहिए। इसके लिए मरीज साबुत अनाज की ब्रेड, अनाज और पास्ता, ब्राउन राइस, बीन्स, छिलके वाले फल और जामुन का सेवन कर सकते हैं।
  • कम वसा वाले डेयरी उत्पादों और बिना स्टार्च वाली सब्जियों का सेवन करें।
  • मधुमेह के रोगियों के लिए ग्लूकोज के सेवन पर नज़र बनाए रखना ज़रूरी है।
  • कम चीनी युक्त खाद्य या पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

क्या नहीं खाना चाहिए

  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें।
  • सफेद ब्रेड ,सफेद चावल,मैदे का सेवन ना करें।
  • अधिक तेल और मसाले वाले भोजन से परहेज़ करें।
  • ऐसे खाद्य पदार्थ जिनमें सोडियम की मात्रा अधिक होती है उनका सेवन न करें।
  • मीठा न खाएं।
  • रेड मीड का सेवन ना करें।

डायबिटिक फुट अल्सर ट्रीटमेंट के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या डायबिटिक फुट अल्सर कैंसर है?

नहीं, डायबिटिक फुट अल्सर कैंसर नहीं होते हैं। हालांकि यह बैक्टीरिया या फंगस के संक्रमण के कारण त्वचा कैंसर का कारण बन सकता है।

क्या डायबिटिक फुट अल्सर का इलाज संभव है?

हां, इसे रोग की गंभीरता के दवाओं के जरिए या सर्जिकल तरीके से ठीक किया जा सकता है। इस रोग से पीड़ित लोगों को हमेशा शुगर लेवल मेंटेन रखने की सलाह दी जाती है।

डायबिटिक फुट अल्सर का इलाज नहीं किया गया तो क्या हो सकता है?

पैर के अल्सर को यदि इलाज रहित छोड़ दिया जाता है तो यह गैंग्रीन जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। हड्डियों में संक्रमण पैदा कर सकता है। इसकी सबसे गंभीर स्थिति तब निर्मित होती है जब रक्त का संचरण न होने पर दर्द की संवेदनाओं का मरीज को अनुभव नहीं होती और वह दर्द के साथ ही चलता रहता है। इसके कारण पैरों का आकार विकृत हो जाता है।

क्या डायबिटिक फुट अल्सर का इलाज घर पर किया जा सकता है?

नहां, इसका इलाज घर पर संभव नहीं है। इसके शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

क्या डायबिटिक फुट अल्सर के कारण व्यक्ति विकलांग हो सकता है?

नहीं, इस रोग में ऐसी कोई स्थिति निर्मत नहीं होती है। हालांकि यदि संक्रमण लगातार बढ़ता रहता है तो इससे पैर डैमेज होने की संभावना हो सकती है।

अन्य शहरों में डायबिटिक फूट अल्सर सर्जरी की लागत

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