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पित्त की थैली में स्टोन का ऑपरेशन - Gallbladder Stone Treatment

पित्ताशय में पथरी (Gallstone) एक दर्दनाक स्थिति है, जिसके कारण रोगी को बहुत ज्यादा दर्द का सामना करना पड़ सकता है और वह अपने रोजाना के कार्य को करने में असमर्थ रहता है। सर्वश्रेष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें और पित्त की पथरी का सर्वश्रेष्ठ इलाज प्राप्त करें।

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पित्त की पथरी क्या है? - Pitt ki pathri kya hai?

पित्त की पथरी एक ठोस पदार्थ है, जिसका निर्माण पित्त नली में होता है। पित्त नली एक छोटी ट्यूब है, जिसका कार्य पित्ताशय से छोटी आंत में पित्त को ले जाना है। पित्त एक हरे-पीले रंग का तरल पदार्थ है, जिसका मुख्य कार्य पाचन तंत्र में सहायता करना है। आमतौर पर पित्त की पथरी के निर्माण का कारण कोलेस्ट्रॉल है। पित्त की पथरी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे -

  • अधिक वजन या मोटापा
  • गर्भावस्था
  • कुछ दवाएं
  • चिकित्सा इतिहास
  • कुछ स्वास्थ्य स्थितियां, जैसे कि डायबिटीज और सिस्टिक फाइब्रोसिस

पित्त की पथरी के प्रकार - Gallstone types in Hindi

पित्त की पथरी दो प्रकार की होती हैं:

  • कोलेस्ट्रॉल स्टोन: यह सबसे आम प्रकार की पित्त की पथरी है, जिसका निर्माण तब होता है जब रोगी के शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक हो जाती है।
  • पिगमेंट स्टोन: इस प्रकार की पथरी ज्यादा आम नहीं है। इस प्रकार की पथरी का निर्माण तब होता है जब पित्त में बिलीरुबिन का स्तर बहुत अधिक हो जाता है।

पित्त की पथरी के लक्षण - Pathri ke lakshan

आमतौर पर पित्त की पथरी के लक्षण तब दिखाई देते हैं, जब पथरी पित्त नली को अवरुद्ध करती है। पित्त की पथरी के निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं -

  • पेट के ऊपरी दाहिने भाग में दर्द
  • मतली
  • उल्टी
  • बुखार
  • पीलिया

यदि किसी परीक्षण में पित्त की पथरी की पुष्टि होती है और रोगी को किसी भी प्रकार के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं तो उन्हें सलाह दी जाती है कि वह तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। आमतौर पर पित्त की पथरी का इलाज सर्जरी के द्वारा किया जा सकता है। ऑपरेशन में पित्त की पथरी को पित्त नली से निकाल लिया जाता है। पित्त की पथरी की पुष्टि होने के बाद सर्जन कोलेसिस्टेक्टोमी (Cholecystectomy) नाम की प्रक्रिया का सुझाव देते हैं।

क्या आप इनमें से किसी लक्षण से गुज़र रहे हैं?

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पित्त की पथरी के इलाज की आवश्यकता क्यों है?

पथरी सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं - गुर्दे की पथरी और पित्त की पथरी। पित्त की पथरी का इलाज समय पर होना बहुत ज्यादा अनिवार्य है, क्योंकि यदि सही समय पर उपचार (pit ki pathri ka ilaj) नहीं हुआ तो इसके कारण रोगी को गाल ब्लैडर में कैंसर भी हो सकता है। वहीं गुर्दे की पथरी एक सामान्य स्थिति है, जिसके बहुत सारे इलाज है, लेकिन पित्त में पथरी एक पीड़ादायक स्थिति है। लगभग 80 प्रतिशत पित्त की पथरी कोलेस्ट्रॉल से ही बनती है, जिसका इलाज स्थिति के आकलन के बाद ही संभव हो पाता है।

सर्जरी से पहले की तैयारी एवं निर्देश

डॉक्टर के द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि रोगी उन सभी का पालन करते हैं, तो उन्हें सर्जरी के बाद बहुत ज्यादा लाभ मिल सकता है और वह जल्द से जल्द रिकवर भी हो सकते हैं। निम्नलिखित दिशा-निर्देश का सुझाव डॉक्टर के द्वारा रोगी को ऑपरेशन से पहले दिया जा सकता है -

  • प्रक्रिया से कम से कम 8 घंटे पहले तक रोगी को कुछ भी खाने-पीने की सलाह नहीं दी जाती है।
  • ऑपरेशन से पहले उन सभी दवाओं के बारे में डॉक्टर को बताएं जिनका वह सेवन कर रहे हैं।
  • एस्पिरिन (सिर दर्द की दवा), खून पतला करने की दवा, विटामिन ई, और गठिया की दवाओं को बंद कर दें या फिर डॉक्टर से इस संबंध में बात करें।
  • रक्त संबंधित विकार के बारे में जानकारी डॉक्टर को पहले से ही दे दें। इसके कारण रोगी को बेहोशी की दवा के साइड इफेक्ट से बचने में मदद मिलती है।
  • ऑपरेशन वाले दिन अस्पताल में कुछ परीक्षण का सुझाव डॉक्टर के द्वारा दिया जा सकता है। इससे रोगी के पूर्ण स्वास्थ्य का आकलन हो पाएगा।

पित्त की पथरी के इलाज के दौरान होने वाली जांच - Pathri ki janch

किसी भी इलाज से पहले निदान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉक्टर निदान की शुरुआत शारीरिक परीक्षण से करते हैं। इसके दौरान डॉक्टर रोगी से कुछ प्रश्न पूछ सकते हैं जैसे किस प्रकार के लक्षण महसूस हो रहे हैं, कहां दर्द हो रहा है और दर्द की तीव्रता कितनी है।

सबसे पहले डॉक्टर पीलिया की जांच करते हैं, क्योंकि यह इलाज में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। इसके पश्चात डॉक्टर रोगी को रक्त परीक्षण और अल्ट्रासाउंड का सुझाव भी दे सकते हैं, जो पथरी के सटीक स्थान का पता लगाने में मदद कर सकते हैं। डॉक्टर के द्वारा सीटी स्कैन, एचआईडीए स्कैन, एमआरआई और अन्य परीक्षण का सुझाव भी दिया जा सकता है।

पित्त की पथरी की सर्जिकल प्रक्रिया और विधि - Pitt ki pathri ki surgical vidhi

पित्त को निकालने के लिए डॉक्टर दो प्रकार की सर्जरी का प्रयोग करते हैं। मरीज की स्थिति के आधार पर सर्जन निर्णय लेते हैं कि किस प्रकार के ऑपरेशन का प्रयोग होना है। चलिए पित्त की पथरी के ऑपरेशन के दोनों प्रकार के बारे में जानते हैं -

लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॅमी (दूरबीन द्वारा पित्त की पथरी का ऑपरेशन)

यह एक आधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें सर्जन पेट पर चार छोटे चीरे लगाते हैं। एक चीरे में से एक छोटा कैमरा डाला जाता है, जिससे पेट के अंदर के सभी अंग साफ साफ मॉनिटर पर दिख जाते हैं। बाकी कट से सर्जिकल उपकरणों की मदद से पित्त की थैली को निकाल लिया जाता है।

प्रक्रिया के खत्म होने के बाद चीरों को टांकों की सहायता से बंद कर दिया जाता है। दूरबीन से पित्त की पथरी के ऑपरेशन में एक या दो घंटे का समय लगता है।

ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी (ओपन सर्जरी)

इस सर्जरी में पेट पर पसलियों के नीचे दाईं तरफ 6 इंच का एक बड़ा कट लगाया जाता है। लिवर और पित्त की थैली तक पहुंचने के लिए उनसे जुड़े हुए मांसपेशियों और ऊतकों को साइड किया जाता है। इसके बाद सर्जन पित्त की थैली को ही निकाल लेते हैं। थैली को निकालने के बाद चीरे को टांकों की सहायता से बंद कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में एक या दो घंटे का समय लग सकता है।

ऐसा भी कई बार देखा गया है कि सर्जन ने पहले दूरबीन से ऑपरेशन का सुझाव दिया था, लेकिन स्थिति प्रतिकूल हो जाने के कारण ओपन सर्जरी करना पड़ता है।

पित्त की पथरी के ऑपरेशन से संबंधित जोखिम और जटिलताएं

पित्त की पथरी का ऑपरेशन एक सुरक्षित और सफल प्रक्रिया है। लेकिन हर प्रकार की सर्जरी की तरह ही इस प्रक्रिया के भी कुछ जोखिम और जटिलताएं होती हैं जैसे -

  • संक्रमण: पित्त की थैली में स्टोन में चीरे लगाए जाते हैं, जो कभी न कभी संक्रमण का स्त्रोत बन सकते है। संक्रमण के कारण दर्द, घाव से पस निकलना जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • रक्त हानि: ऐसा होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन ओपन सर्जरी में यह कुछ मामलों में हो सकता है। रक्त हानि की स्थिति उत्पन्न होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
  • पित्त का रिसाव: इस प्रकार की समस्या बहुत कम मामलों में देखी जाती है। ऐसा अक्सर तभी होता है जब पित्त की थैली के ऑपरेशन के दौरान पित्त द्रव कभी कभी पेट में ही निकल जाता है। इस जटिलता के कारण पेट में दर्द, बुखार और पेट में सूजन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • पित्त नली की चोट: इस प्रकार की जटिलता तभी उत्पन्न होती है, जब पित्त की पथरी का ऑपरेशन कम अनुभवी डॉक्टर करते हैं। इस प्रक्रिया को गाल ब्लैडर स्टोन ट्रीटमेंट के दौरान ठीक किया जा सकता है।
  • बेहोशी की दवा से एलर्जी: कई बार ऐसा होता है कि रोगी को बेहोशी की दवा से एलर्जी होती है। यही कारण है कि कुछ व्यक्तियों का शरीर बेहोशी की दवा के अनुकूल नहीं होता है और उन्हें उससे एलर्जी होती है। इससे बचने के लिए रोगी को डॉक्टर से अपने स्वास्थ्य के बारे में सही जानकारी साझा करनी चाहिए।
  • खून के थक्के जमना या डीवीटी: इस प्रकार की जटिलता भी बहुत कम मामलों में देखी जाती है। यदि कहीं पर भी रक्त के थक्के जमते हैं, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर को तुरंत सूचित करें।

कुछ जटिलताएं ऑपरेशन के बाद उत्पन्न होती हैं। उन्हें मेडिकल भाषा में पित्त की पथरी के ऑपरेशन के साइड इफेक्ट के तौर पर जाना जाता है। कुछ सामान्य जटिलताएं इस प्रकार हैं -

  • वसा युक्त भोजन पचाने में समस्या: पित्त का कार्य भोजन में मौजूद अतिरिक्त वसा को कम करना है। यदि रोगी की पित्त की पथरी को निकाल लिया गया है और वह वसा युक्त भोजन करता है तो उन्हें बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • कब्ज: पित्त का एक और कार्य होता है कि वह व्यक्ति को कब्ज नहीं होने देता है। पित्त की थैली के ऑपरेशन के बाद कब्ज की समस्या रोगी को परेशान कर सकती है।

पित्त की पथरी के ऑपरेशन के बाद देखभाल कैसे करें?

दूरबीन द्वारा पित्त की पथरी के बाद अधिक देखभाल करने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन ओपन सर्जरी के बाद रोगी को अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता हो सकती है। ऑपरेशन के बाद निम्नलिखित कार्यों पर अतिरिक्त ध्यान देने होगा -

  • लगभग दो हफ्तों तक ऐसे कार्य करने से बचें, जिनके कारण ज्यादा जोर लगाना पड़े।
  • नर्स से पूछे की घर पर घाव को साफ कैसे करें और मरहम पट्टी कैसे करें। इससे संक्रमण की संभावना को कम किया जा सकता है।
  • ऑपरेशन के बाद कुछ दिनों तक कम से कम आहार का सेवन करें।
  • ऑपरेशन के बाद डॉक्टर रोगी को फाइबर की मात्रा को बढ़ाने का सुझाव देते हैं।
  • पानी की कमी से बचने के लिए खूब सारा तरल पदार्थ का सेवन करें।
  • चार से छह सप्ताह तक भारी वजन न उठाएं।
  • घाव वाली जगह को हाथ लगाने से पहले और बाद में हाथ जरूर धोएं।
  • ज्यादा टाइट कपड़े पहने से बचें।

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पित्त की पथरी के ऑपरेशन के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?

पित्त की पथरी के ऑपरेशन के बाद रिकवरी का समय हर व्यक्ति के लिए अलग अलग हो सकता है। रिकवरी का समय उत्पन्न हो रही जटिलताओं के आधार पर भी भिन्न हो सकता है। दूरबीन से ऑपरेशन के बाद रोगी उसी दिन अपने घर जा सकते हैं और अगले एक सप्ताह के अंदर रोगी अपने सामान्य काम को फिर से शुरू कर सकते हैं।

वहीं ओपन सर्जरी के बाद रोगी को एक सप्ताह तक अस्पताल में रहने की आवश्यकता पड़ सकती है। रिकवरी के दौरान डॉक्टर के साथ फॉलोअप एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यदि सब चीजें ठीक रही तो रोगी पित्त की पथरी के ऑपरेशन के 1 महीने के बाद फिर से अपना रोजाना का कार्य कर सकते हैं।

पित्त की पथरी के ऑपरेशन का खर्च

पित्त की पथरी के ऑपरेशन में 90,000 रुपए से लेकर 2,60,000 रुपये तक का खर्च आ सकता है। यह खर्च कई कारकों के द्वारा प्रभावित होता है जैसे -

  • पित्त पथरी की संख्या और आकार
  • डॉक्टर का परामर्श और ऑपरेशन का शुल्क
  • नैदानिक ​​परीक्षण का खर्च
  • अस्पताल में भर्ती और डिस्चार्ज में लगने वाला खर्च
  • अस्पताल का बेड फीस
  • सर्जरी से पहले और बाद की दवाएं
  • सर्जरी के बाद के फॉलो-अप

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पित्त की पथरी के ऑपरेशन के फायदे

पित्त की थैली की पथरी का ऑपरेशन एक आधुनिक सर्जिकल उपचार है। इसके बहुत सारे लाभ हैं जैसे -

  • शरीर से पथरी निकल जाती है, जिससे दर्द और अन्य समस्याएं नहीं होती है।
  • पित्त की पथरी के कारण होने वाले संक्रमण खत्म हो जाते हैं।
  • इससे पित्त की पथरी के कारण होने वाली जटिलताओं से राहत मिल जाती है।

पित्त की पथरी के ऑपरेशन के बाद डॉक्टर के पास कब जाएं

सर्जरी के बाद रोगी को हल्का भोजन खाने और कम वसा युक्त भोजन की सलाह दी जाती है। यदि किसी को पीलिया की समस्या होती है या फिर टांकों को लेकर कोई समस्या दिखती है, सांस लेने में तकलीफ होती है या फिर उन्हें उल्टी का एहसास होता है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करें। इसके साथ साथ ऑपरेशन के बाद समय समय पर फॉलो-अप लेने से भी रोगी को बहुत लाभ मिल सकता है। इसके साथ साथ निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है -

  • समय के साथ दर्द से राहत न मिलना
  • मतली और उल्टी आना
  • त्वचा और आंख में पीलापन
  • मल त्याग में समस्या
  • दस्त लगना

पित्त की पथरी के ऑपरेशन के बाद क्या खाना चाहिए और क्या नहीं

पित्त की पथरी के ऑपरेशन के बाद रोगी को अपने आहार में बहुत ज्यादा बदलाव करने की आवश्यकता होती है। निम्नलिखित चीजों के सेवन का सुझाव डॉक्टर के द्वारा किया जा सकता है।

  • मुर्गे का मांस
  • मछली और सी-फूड
  • फलियां
  • उच्च फाइबर युक्त आहार का सेवन करने से पहले डॉक्टर से बात ज़रूर करें।
  • होल ग्रेन
  • ताजे फल और सब्जियां
  • लो फैट डेयरी उत्पाद

लेकिन ऑपरेशन के बाद रोगी को प्रोटीन की मात्रा को कम करने की सलाह दी जाती है। ऑपरेशन के पश्चात इन चीजों से परहेज करने की सलाह दी जाती है -

  • वसा युक्त, और अधिक तला हुआ भोजन
  • अधिक मिर्च मसाले वाला भोजन
  • रिफाइंड शुगर
  • चाय, कॉफी, चॉकलेट, और एनर्जी ड्रिंक
  • शराब
  • कार्बोनेटिड ड्रिंक

पित्त की थैली में स्टोन से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या पित्त की पथरी के ऑपरेशन को स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत कवर किया जाता है?

हाँ! सभी प्रमुख बीमा प्रदाता पित्त की पथरी को हटाने की सर्जरी प्रदान करते हैं। लेकिन कुछ नियम होते हैं जैसे वेटिंग पीरियड जिसका पालन हमेशा करना होता है। इसलिए इलाज करवाने से पहले अपने बीमा प्रदाता से एक बार बात जरूर करें।

क्या पित्त की पथरी को अनुपचारित छोड़ा जा सकता है?

अधिकांश मामलों में पित्त की पथरी के ऑपरेशन की आवश्यकता होती है। यदि पित्त की पथरी का इलाज समय पर नहीं होता है तो इसके कारण रोगी को पथरी के दौरे, असहनीय दर्द, सूजन और विभिन्न गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

क्या पित्त पथरी की सर्जरी के दौरान दर्द होता है?

ऑपरेशन के दौरान रोगी को किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होता है, क्योंकि तब वह एनेस्थीसिया के प्रभाव में होते हैं। ऑपरेशन के बाद चीरे वाले स्थान पर हल्का दर्द का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर पर ओपन सर्जरी के बाद रोगी को अच्छा खासा दर्द का सामना करना पड़ सकता है।

क्या पित्त की थैली में स्टोन के कारण लीवर खराब हो सकता है?

पित्ताशय की पथरी अक्सर कोई लक्षण पैदा नहीं करते हैं। लेकिन कुछ मामलों में, पित्त की पथरी, पित्त ले जाने वाली नलियों (पित्त नलिकाओं) को अवरुद्ध कर देती है। इसके कारण लीवर पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

पित्त पथरी सर्जरी से संबंधित अधिक जानकारी

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