बच्चेदानी में सिस्ट क्या है? - Bachedani me ganth kya hai
बच्चेदानी में सिस्ट तरल पदार्थ से भरी एक थैली नुमा आकृति है, जो अंडाशय पर बनती है। राजमा के आकार में बने दोनों अंडाशय, शरीर के वह अंग होते है, जिनमें गर्भाशय में पहुंचने से पूर्व, अंडे संग्रहित रहते हैं और उसमें प्रजनन करने की क्षमता उत्पन्न होती है। यह गर्भाशय की दोनों ओर पेट के नीचे के स्थान पर स्थित होते हैं। महिलाओं के शरीर में ये दोनों अंडाशय, अंडे के साथ एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन का निर्माण करते हैं। जब सिस्ट एक बड़ा आकार ले लेता है, तो इसके कारण रोगी को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
बच्चेदानी के सिस्ट के लक्षण - Bachedani ke lakshan
ओवेरियन सिस्ट या बच्चेदानी में सिस्ट एक महिला को लंबे समय तक परेशान कर सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चेदानी में सिस्ट के कोई खास लक्षण नहीं होते है। लक्षण के उत्पन्न न होने के पीछे का कारण बच्चेदानी के सिस्ट का छोटा आकार है।
यदि सिस्ट का आकार बढ़ जाता है और स्थिति का समय पर इलाज नहीं होता है, तो इसके कारण रोगी को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि स्थिति कैंसर में परिवर्तित हो जाती है। यदि रोगी को निम्न लक्षणों का अनुभव होता है, तो उन्हें जल्द से जल्द एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए और स्थिति के इलाज के विकल्प पर चर्चा करनी चाहिए -
- कमर के आकार में वृद्धि
- पेट या फिर श्रोणि में दर्द
- भूख कम या बिल्कुल न लगना
- गैस बनना या पेट में सूजन आना
- बार-बार पेशाब आना
- मलाशय या मूत्राशय पर अतिरिक्त दबाव बनना
- मल त्याग में असहजता व दर्द होना
- संभोग के दौरान अधिक दर्द होना
ओवेरियन सिस्ट के कारण - Bachedani ke karan
बच्चेदानी में सिस्ट के कारण और प्रकार एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। सबसे मुख्य प्रकार है फंक्शनल ओवेरियन सिस्ट जो कि एक महिला के अंदर गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होती है। सामान्यतः इस प्रकार के सिस्ट के कारण बच्चे या फिर मां को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है। फंक्शनल ओवेरियन सिस्ट दो प्रकार के होते हैं - फॉलिक्युलर सिस्ट और ल्यूटियम सिस्ट। चलिए बच्चेदानी के प्रकार के बारे में विस्तार से समझते हैं -
- फॉलिकुलर सिस्ट - इस प्रकार के सिस्ट का निर्माण मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान होता है। ओवरी में उत्पन्न होने वाले अंडों को फॉलिकल कहा जाता है। हर महीने अंडाशय में बनने वाली थैली फट जाती है और अंडे बाहर निकल जाते हैं। जब यह अंडे थैलियों से नहीं निकलते हैं और थैली नहीं फटती है, तो अंडाशय में मौजूद तरल पदार्थ सिस्ट का रूप ले लेते हैं।
- कॉपर्स ल्यूटियम सिस्ट - इस प्रकार के सिस्ट आमतौर पर अंडों के निकलने के बाद स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं। यदि किसी भी कारणवश यह नष्ट नहीं हो पाते हैं, तो इसमें कई जगह से तरल पदार्थ जमा हो जाते हैं, जो कॉपर्स ल्यूटियम सिस्ट का निर्माण करते हैं।
- पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम - यह एक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसका सावधानी से विश्लेषण और इलाज करना अनिवार्य है। कुछ महिलाएं इस स्थिति को एक गंभीर अवस्था मानती है। यदि सही समय पर उचित उपचार किया जाए, तो इस रोग का इलाज संभव है। पीसोओएस ग्रस्त महिलाओं को इस रोग के कारण अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रोल, स्ट्रेस, डिप्रेशन, दिल का दौरा आदि बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
बच्चेदानी में सिस्ट के इलाज की आवश्यकता क्यों है?
बच्चेदानी में सिस्ट का इलाज निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है -
- ज्यादातर मामलों में बच्चेदानी में सिस्ट के कारण कोई खास समस्या नहीं होती है, क्योंकि वह छोटे आकार के होते हैं। जब सिस्ट का आकार बढ़ जाता है, तो इसके कारण रोगी को तेज दर्द, बढ़ते हुए विकार, पेट में सूजन, उल्टी आदि का सामना करना पड़ सकता है।
- कई बार स्थिति थोड़ी ज्यादा गंभीर हो जाती है, जिससे ओवेरी टॉर्शन और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- ज्यादातर सिस्ट बच्चेदानी के बाहर बनते हैं और किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं करते हैं, लेकिन कई बार बच्चेदानी के अन्दर सिस्ट भी होते हैं, जो गर्भावस्था और प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
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बच्चेदानी में सिस्ट के इलाज से पहले ध्यान देने योग्य बातें!
यदि रोगी ऑपरेशन से पहले कुछ तैयारी कर ले तो इसका सीधा लाभ रोगी को ही मिलता है। इससे वह निकट भविष्य में होने वाली समस्याओं से पहले ही अवगत हो जाते हैं और उचित तैयारी कर उच्च सफलता दर प्राप्त कर सकते हैं। सर्जरी से पहले और सर्जरी वाले दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। चलिए दोनों को एक एक करके समझते हैं।
सर्जरी से पहले ध्यान देने योग्य बातें
- सर्जरी से पहले इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन), नेप्रोक्सेन (एलेव, नेप्रोसिन), क्लोपिडोग्रेल (प्लाविक्स), वारफेरिन (कौमडिन), और अन्य रक्त पतला करने वाली दवाओं के सेवन को बंद कर दें।
- सर्जरी के पहले खाने वाली दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को सूचित करें।
- यदि रोगी किसी भी रक्त पतला करने वाली दवा का सेवन करते हैं या फिर रक्त हानि के विकार से पीड़ित है तो इस स्थिति के बारे में अपने डॉक्टर को सूचित करें।
- धूम्रपान छोड़ दें क्योंकि यह रोगी को जल्द से जल्द स्वस्थ होने से रोक सकता है।
सर्जरी वाले दिन ध्यान देने योग्य बातें
- सर्जरी से पहले कुछ भी खाने पीने की सलाह नहीं दी जाती है। आवश्यकता हो तो हल्की मात्रा में पानी पीएं।
- अपने साथ अपनी मेडिकल रिपोर्ट ज़रूर लाएं।
- प्रयास करें कि अपने साथ एक व्यक्ति ज़रूर लाएं।
बच्चेदानी में सिस्ट का निदान - Ovarian Cyst Diagnosis
बच्चेदानी में सिस्ट के कारण रोगी बहुत सारे लक्षणों का सामना करते हैं। सामान्यतः डॉक्टर शारीरिक परीक्षण और लक्षणों की पहचान से स्थिति का आकलन कर सकते हैं। यदि डॉक्टर को लगता है कि रोगी बच्चेदानी में सिस्ट से परेशान है तो वह इसकी पुष्टि करने के लिए कुछ नैदानिक परीक्षणों का सुझाव दे सकते हैं जैसे -
- ब्लड टेस्ट - डॉक्टर हार्मोन से जुड़ी किसी भी असामान्यता की जांच के लिए सबसे पहले रक्त परीक्षण का ही सुझाव देते हैं।
- सीए 125 रक्त परीक्षण - सीए 125 रक्त परीक्षण के माध्यम से रक्त में मौजूद कैंसर एंटीजन के स्तर की जांच होती है। यदि इस पदार्थ का स्तर सीमित मात्रा से ज्यादा होता है, तो यह ओवेरियन कैंसर का संकेत दे सकते है।
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड - इस परीक्षण में ध्वनि तरंगों का प्रयोग होता है, जो बच्चेदानी में सिस्ट के सटीक आकार और स्थान का पता लगाने में मदद कर सकता है।
बच्चेदानी में सिस्ट के ऑपरेशन की विधि
यदि बच्चेदानी में सिस्ट का समय पर इलाज नहीं होता है, तो यह स्थिति कैंसर का रूप ले सकती है। आमतौर पर डॉक्टर बच्चेदानी में बड़े आकार के सिस्ट के इलाज के लिए सर्जरी का सुझाव देते हैं। सामान्यतः इस स्वास्थ्य स्थिति के इलाज के लिए दो प्रकार के ऑपरेशन का सुझाव दिया जाता है।
- लेप्रोस्कोपी (Laparoscopy)
- लैपरोटोमी (Laprotomy)
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी
बच्चेदानी में सिस्ट के अधिकांश मामलों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (दूरबीन द्वारा बच्चेदानी में सिस्ट का इलाज) का उपयोग होता है। प्रक्रिया में एनेस्थीसिया का प्रयोग होता है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक आधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें बहुत छोटे चीरे लगाए जाते हैं। चीरों की संख्या रोगी के स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। एक चीरे के माध्यम से सर्जन पेट में एक गैस को डालते हैं, जिससे सर्जन पेट के सभी अंगों को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। इसके बाद सर्जन एक दूरबीन (लेप्रोस्कोप) को पेट में डालते हैं। इस दूरबीन में एक माइक्रोस्कोप के साथ कैमरा लगा होता है। इससे सर्जन रोगी के सभी आंतरिक अंगों को देख पाते हैं। इसके बाद सिस्ट की पुष्टि की जाती है और उन्हें निकाल लिया जाता है। ऑपरेशन के बाद टांके लगाए जाते हैं। इन टांकों को निकालने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि यह अपने आप घुल जाते हैं। ज्यादातर डॉक्टर सर्जरी के लिए इसी प्रक्रिया का चुनाव करते हैं, क्योंकि यह आधुनिक प्रक्रिया है जिसकी सफलता दर बहुत ज्यादा अच्छी है और रोगी को प्रक्रिया के बाद दर्द भी कम होता है। इसके साथ साथ रोगी को ऑपरेशन के बाद जल्द छुट्टी मिल जाती है और वह अपने रोजाना के कार्य में जल्द से जल्द वापसी कर पाते हैं।
लैपरोटोमी सर्जरी
इस सर्जरी का सुझाव डॉक्टर सबसे गंभीर मामलों में देते हैं। यदि रोगी के बच्चेदानी के सिस्ट का आकार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है या इसके कैंसरग्रस्त होने की संभावना है, तो डॉक्टर लैपरोटोमी सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। लैपरोटोमी सर्जरी में बहुत बड़ा कट लगाया जाता है, जिससे सर्जन प्रभावित अंग तक आसानी से पहुंच पाते हैं। इस सर्जरी के द्वारा पूरे सिस्ट को अंडाशय के साथ निकाल लिया जाता है। इसके बाद निकाले गए अंग की जांच प्रयोगशाला में की जाती है। ऑपरेशन के द्वारा लगाए गए चीरे को टांकों या फिर स्टेपलर की सहायता से बंद कर दिया जाता है।
डॉक्टर रोगी को कुछ समय के लिए अस्पताल में रहने की सलाह दे सकते हैं। यह एक ओपन सर्जरी है, जिसके कारण रोगी को स्वस्थ होने में काफी समय लगता है।
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