फिमोसिस सर्जरी क्या है?
यदि कोई भी व्यक्ति फिमोसिस की समस्या से पीड़ित है और उसका खतना नहीं हुआ है तो उसकी फोरस्किन (लिंग की चमड़ी) को पीछे नहीं खींचा जा सकता है। इसका उपचार स्टेरॉयड क्रीम से शुरू हो सकता है लेकिन अंततः सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। फिमोसिस एक ऐसी स्थिति है जिससे पुरुष प्रभावित होते हैं। इस स्थिति में चमड़ी (लिंग के सिर को ढकने वाली त्वचा) को नीचे नहीं खींचा जा सकता है। फोरस्किन बहुत ज्यादा कड़ी हो जाती है और उसे नीचे खींचने की कोशिश करने पर दर्द होता है।
फिमोसिस की समस्या दो तरह से हो सकती है: या तो शारीरिक (जैसा कि शिशुओं में होता है), या पैथोलॉजिकल (अगर इसकी वजह से यौन क्रिया में दर्द या समस्या होती है या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी)| पैराफिमोसिस की स्थिति तब होती है, जब फोरस्किन ग्लांस से पीछे तो हट जाती है पर इसे फिर से वापिस सामान्य स्थिति में नहीं लाया जा सकता है। पैराफिमोसिस की समस्या से फोरस्किन और पेनिस के सिर पर दर्दनाक सूजन हो सकती है। इसलिए यदि ऐसा होता है, तो आपको तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।
फिमोसिस की समस्या अधिकतर 3 साल से कम उम्र के पुरुष बच्चों में होती है जिनका खतना नहीं हुआ होता है। इस समस्या के कारण पेशाब करने में भी मुश्किल होती है। फिमोसिस की समस्या के लक्षण, पुरुषों में 16-17 साल की उम्र के बाद दिख सकते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि केवल 1% लोगों को ही फिमोसिस होता है जब वे 16 साल के होते हैं लेकिन लगभग सभी नवजात शिशुओं में यह समस्या पायी जाती है। फिमोसिस का इलाज करने का सबसे आसान तरीका है: खतना करवाना। ये प्रक्रिया बहुत ही सुरक्षित है और यह सुनिश्चित करती है कि व्यक्ति कभी भी दोबारा से फिमोसिस से प्रभावित न हो। पर बाद में यदि ये समस्या होती है तो इसका इलाज सिर्फ सर्जरी है।
फिमोसिस के लक्षण
फिमोसिस की समस्या होने पर लिंग में सूजन हो सकती है, जिसे बैलेनाइटिस कहा जाता है। दूसरी समस्या का नाम है: बालनोपोस्टहाइटिस, जिसमें पेनिस के ग्लान्स और फोरस्किन दोनों में सूजन हो सकती है। ये दोनों स्थितियाँ तब होती हैं जब सही से स्वच्छता नहीं रखी जाती है।
कुछ लक्षण हैं:
- लालिमा या मलिनकिरण, जो संक्रमण या इर्रिटेशन होने पर हो सकता है।
- सूजन, जो संक्रमण या इर्रिटेशन होने पर हो सकती है।
- पीड़ा
- पेशाब करते समय दर्द (डिसुरिया)।
- इरेक्शन या यौन गतिविधि के समय दर्द।
- फिमोसिस के कारण प्रभावित जगह में सफेद और गाढ़े तरल पदार्थ का संचय भी हो सकता है।
- फिमोसिस के कारण प्रभावित हिस्से में बहुत अधिक खुजली हो सकती है।
- कसी हुई फोरस्किन
फिमोसिस की स्टेज
- लेवल 1: पिनहोल फिमोसिस
- लेवल 2: ग्लान्स का दिखाई देना
- लेवल 3: शिथिल होने पर कोरोना से पीछे फोरस्किन हट सकती है| लेकिन तब नहीं जब पेनिस इरेक्ट होता है
- लेवल 4: पेनिस जब इरेक्ट होता है तब फोरस्किन कोरोना तक आराम से वापस आ सकती है
- लेवल 5: हल्का फिमोसिस
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फिमोसिस के कारण
- पुरुष शिशुओं में फिमोसिस की समस्या होना आम है क्योंकि उनके लिंग की चमड़ी में जकड़न हो जाती है। आमतौर पर 2 साल के बाद फोरस्किन ढीली पड़नी शुरू हो जाती है और 3 साल की उम्र तक लिंग के सिर से जुड़ी रहती है। इसके बाद, 3 से 6 साल की उम्र तक स्वाभाविक रूप से अलग हो जाती है लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो दर्द, पीड़ा और फिमोसिस के अन्य लक्षण सामने आते हैं।
- फोरस्किन में संक्रमण होने पर भी फिमोसिस की समस्या हो जाती है।
- फिमोसिस की समस्या होने का एक और कारण है: खराब स्वच्छता।यदि सही से सफाई नहीं रखी जाती है तो इर्रिटेशन और दर्द हो सकता है।
- लिंग में चोट लगने पर भी फिमोसिस की समस्या हो सकती है।
- त्वचा की स्थितियाँ जैसे एक्जिमा, सोरायसिस, लाइकेन प्लेनस और लाइकेन स्क्लेरोसस के कारण भी फिमोसिस हो सकता है।
फिमोसिस के प्रकार
- फिजियोलॉजिकल फिमोसिस: इस प्रकार के फिमोसिस में, जनम के समय से ही पुरुष बच्चों में फोरस्किन बहुत टाइट होती है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि लिंग और फोरस्किन की भीतरी परत के बीच आसंजन होता है। इससे लिंग की खाल को पीछे खींचना मुश्किल हो जाता है। 5-7 वर्ष की आयु तक, पूरी तरह से फोरस्किन को वापिस खींचा जा सकता है।
- पैथोलॉजिकल फिमोसिस: इस प्रकार का फिमोसिस होने के कारण हैं: चोट, निशान, सूजन, संक्रमण और अन्य स्वस्थ्य समस्याएं जैसे सोरायसिस, एक्जिमा, लाइकेन स्क्लेरोसस और लाइकेन प्लेनस। खराब स्वच्छता के कारण पसीना, गंदगी और पैथोजन्स फोरस्किन के नीचे जमा हो जाते हैं, जिससे पैथोलॉजिकल फिमोसिस होता है।
फिमोसिस के ट्रीटमेंट की आवश्यकता क्यों है?
यदि फिमोसिस की समस्या गंभीर है, तो पेशाब करने में कठिनाई हो सकती है। इसके साथ ही, इरेक्शन होने पर दर्द या असुविधा भी हो सकती है। फिमोसिस की समस्या होने से बैक्टीरिया या फंगल संक्रमण हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप बैलेनाइटिस का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक रहने वाला बैलेनाइटिस भी फिमोसिस का कारण हो सकता है।
फोरस्किन और पेनिस के बीच का हिस्सा गर्म और नम होता है जिसकी वजह से बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों का विकास हो सकता है। इसीलिए यदि आपका खतना नहीं हुआ है तो अच्छी स्वच्छता रखना आवश्यक है। फिमोसिस से पेनिस कैंसर का जोखिम भी बढ़ता है।
उपरोक्त स्थितियों के होने पर फिमोसिस का इलाज करवाना आवश्यक है।
सर्जरी के लिए जाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें
सर्जरी करवाने के लिए ऐसे क्लीनिक का चुनाव करें, जहां पर आधुनिक तकनीक और स्पेशलिस्ट दोनों हों। सर्जरी से पहले, मरीज के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। यदि ऑपरेशन से पहले सारी तैयारी कर ली जाएगी, तो ऑपरेशन के बाद जल्द से जल्द रिकवर होने में बहुत सहायता मिलेगी। सामान्यतः सर्जन रोगी को बताते हैं कि ऑपरेशन से पहले क्या करना चाहिए और क्या नहीं। उनके बताए गए निर्देश का पालन ज़रूर करें।
फिमोसिस ऑपरेशन से पहले की तैयारी एवं निर्देश
- सर्जरी से कम से कम 6 घंटे पहले कुछ भी न खाएं और न ही पियें। वयस्क पुरुष अपने प्यूबिक एरिया को साफ़ करें और शेव करें। वयस्क पुरुष ऑपरेशन के बाद में एक टाइट फिटिंग का अंडरवियर पहने जो सर्जिकल ड्रेसिंग को सही जगह पर रखेगा। सूजन और दर्द कम होने तक इन्हें घर पर पहनना जारी रखें। बच्चों को ढीली फिटिंग वाली नैपी पहननी चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति को लोकल एनेस्थेटिक दिया जा रहा है, तो वो सामान्य तरीके से खा-पी सकते हैं।
- ऑपरेशन के बाद, आपको घर ले जाने के लिए किसी रिश्तेदार या दोस्त का आपके साथ होना ज़रूरी है। इनका होना तब ज्यादा ज़रूरी है जब सामान्य एनेस्थेटिक दिया जा रहा हो।
- यदि धूम्रपान करते हैं तो उसे बंद कर दें क्योंकि इसकी वजह से घाव के उपचार में परेशानी होती है।
- सर्जरी से कम से कम 48 घंटे पहले शराब का सेवन न करे। शराब से व्यक्ति डीहाइड्रेट महसूस कर सकता है और इसके साथ एनेस्थेसिया की प्रभावशीलता भी कम होती है।
- यदि आप ऑफिस जाते हैं या बच्चा स्कूल में पढता है तो छुट्टी की व्यवस्था करें।
इलाज के दौरान होने वाली जांच
फिमोसिस का निदान करने के लिए, नियमित शारीरिक परीक्षण किया जाता है। डॉक्टर आपके परिवार और मेडिकल हिस्ट्री, यौन गतिविधि, लक्षण और लिंग पर किसी प्रकार की चोट के बारे में प्रश्न पूछ सकता है। डॉक्टर संभवतः, लिंग की टाइट फोरस्किन के लक्षण और संबंधित फिमोसिस लक्षणों के लिए भी जांच करेगा।
फिमोसिस के लिए कुछ अतिरिक्त टेस्ट्स भी किये जा सकते हैं:
- यूरिन टेस्ट्स जिससे यूरिनरी ट्रैक्ट (मूत्र पथ) के संक्रमण की जांच की जा सके।
- फोरस्किन में बैक्टीरिया की जांच के लिए स्वैब टेस्ट।
- शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को मापने के लिए ब्लड या यूरिन टेस्ट किया जा सकता है। फिमोसिस, टाइप 2 मधुमेह के लिए एक जोखिम कारक है।
फिमोसिस की शल्य चिकित्सा प्रक्रिया और विधि
शिशुओं और युवा लड़कों को आमतौर पर लोकल एनेस्थेसिया दिया जाता है क्योंकि इसे सुरक्षित माना जाता है। यह लिंग में जेल या इंजेक्शन का रूप ले लेता है। बड़े लड़कों (किशोरों) और वयस्कों को आमतौर पर जनरल एनेस्थेसिया दिया जाता है।
खतना की प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी कर ली जाती है। इसका मतलब है कि व्यस्क या फिर बच्चा उसी दिन घर लौटने में सक्षम हैं। प्रक्रिया त्वरित है और आमतौर पर इसमें लगभग 30 मिनट लगते हैं।
खतना तीन तरह से किया जाता है:
- पारंपरिक (फोरसेप्स): पारंपरिक तरीके में, फोरस्किन को हटाने के लिए फोरसेप्स का उपयोग किया जाता है। चीरा लगाने से पहले सर्जन उस जगह को मार्क करने के लिए पेन का उपयोग करता है जहाँ पर इलाज किया जाना है। स्केलपेल से काटने से पहले फोरस्किन को ग्लान्स के सामने पीछे खींच लिया जाता है। फोरसेप्स का उपयोग स्केलपेल को निर्देशित करने के लिए किया जाता है। इलेक्ट्रिक कर्रेंटस का उपयोग करके ब्लड वेसल्स को सील कर दिया जाता है और इस तकनीक को 'बाइपोलर डायथर्मी' कहा जाता है। फिर चीरे को टांके और/या एक विशेष प्रकार के गोंद से बंद कर दिया जाता है। ये टांके या तो खुद ही घुल जाते हैं या फिर वो खुद से घुलने योग्य टांके नहीं होंगे। यदि आपके टाँके खुद से नहीं घुल सकते हैं तो आपको उन्हें हटवाने के लिए डॉक्टर के पास जाना होगा। ऑपरेशन के बाद लिंग के चारों ओर एक पैराफिन आधारित सर्जिकल ड्रेसिंग लपेटी जाती है। यह घाव को अंडरवियर की रगड़ से बचाती है। साथ ही यह किसी भी तरह की सूजन को भी कम करती है। टाइट ब्रीफ पहनने से बहुत सहायता मिलती है। ये पारंपरिक-पुराणी प्रक्रिया, ज्यादा उम्र के लड़कों और वयस्क पुरुषों पर की जाती है।
- प्लास्टिबेल: यह खतना करने की नई विधि है जिसमें एक छोटी प्लास्टिक की अंगूठी का उपयोग किया जाता है जिसे ग्लान्स के चारों ओर फिट किया जाता है और फिर कस दिया जाता है। ऐसा करने से कम्प्रेशन पैदा होता है जो फोरस्किन तक रक्त की आपूर्ति को अवरुद्ध करता है। कुछ हफ़्तों के बाद फोरस्किन डेड हो जाती है और प्लास्टिक की अंगूठी के साथ निकल जाती है। यह प्रक्रिया, शिशुओं और युवा लड़कों पर की जाती है।
- लेजर खतना: लेजर खतना, एक एडवांस्ड और न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रिया है जो वयस्कों में फिमोसिस के प्रभावी उपचार के रूप में की जाती है। जैसा कि नाम से पता चलता है, लेजर खतना को करने के लिए हाइली फोकस्ड बीम का उपयोग किया जाता है।
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