पायलोनिडल साइनस क्या है?
पायलोनिडल साइनस या सिस्ट एक प्रकार का फोड़ा होता है जिसके अंदर पस या म्यूकस भरी होती है। यह आमतौर पीठ के निचले हिस्से में दोनों कूल्हों के बीच वाली लाइन के ठीक ऊपर होता है जिसके कारण तीव्र दर्द हो सकता है। यह समस्या सिर्फ पुरुषों में देखने को मिलती है। पायलोनिडल सिस्ट में आमतौर पर बाल, गंदगी व मलबा भरा होता है जो संक्रमित होने पर मवाद और रक्त के रूप में बाहर निकालता है। पायलोनिडल सिस्ट से होने वाले डिसचार्ज से अजीब तरह की दुर्गंध आती है।
ऐसे पुरुष जिनके बाल काफी घने होते हैं उन्हें यह रोग होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा टाइट कपड़े पहनने और शरीर को पर्याप्त हवा न मिलना, हार्मोनल परिवर्तन, बालों का अंदर की तरफ विकास होना और एक जगह पर लंबे समय बैठे रहने के कारण यह बीमारी हो सकती है।
पायलोनिडल साइनस के लक्षण
पायलोनिडल साइनस के निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं:
- उठते-बैठते समय दर्द होना
- छूने पर अधिक दर्द होना
- इंफेक्शन के कारण जलन और सूजन होना
- सिस्ट में सूजन होना
- सिस्ट से मवाद या रक्त निकलना
- सिस्ट से बाल निकलना
पायलोनिडल साइनस के इलाज की आवश्यकता क्यों है?
पाइलोनिडल साइनस पुरुषों में होने वाली एक आम बीमारी है। इसके कारण पुरुषों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस बीमारी का इलाज कराने की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि अगर इस बीमारी का इलाज नहीं कराया गया तो यह कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है।
जब पायलोनिडल साइनस के कारण व्यक्ति को असुविधा या स्राव होने लगता है, तो पाइलोनिडल साइनस के सर्जिकल उपचार की आवश्यकता होती है। इस सर्जरी को कराने के बाद मरीज को बेहद कम दर्द का अनुभव होता है। लेजर सर्जरी को बेहद कम समय में पूरा किया जाता है जिसमें ब्लीडिंग की संभावना भी बेहद कम होती है। जब हम साइनस की सर्जरी लेजर के माध्यम से करते हैं तो इसमें इंफेक्शन की संभावना कम हो जाती है जिससे दोबारा इंफेक्शन नहीं हो पाता।
पायलोनिडल साइनस का इलाज कराने से पहले इन बातों का रखें ध्यान!
सर्जरी से पहले
- जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें।
- अगर आपको एनेस्थीसिया या किसी अन्य दवा से एलर्जी है, तो सर्जन को पहले ही बता दें।
- सर्जरी से कुछ दिन पहले धूम्रपान करने और शराब का सेवन बंद कर दें।
- सर्जरी से 8 घंटे पहले खाना ना खाएं।
सर्जरी के बाद
- अपने डॉक्टर के पास फॉलो-अप परामर्श के लिए ज़रूर जाएं ताकि पता चल सके की आप ठीक हो रहे हैं।
- अपने घाव की ड्रेसिंग करें और उसे स्वच्छ रखें।
- डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाइयां समय-समय पर खाएं और पूरा डोज खत्म करें।
- भारी वजन उठाने से बचें क्योंकि इससे सर्जरी वाली जगह पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
- बैठने के लिए डोनट कुशन का इस्तेमाल करें।
- लंबे समय तक कठोर सतहों पर ना बैठें।
पायलोनिडल साइनस की शल्य चिकित्सा प्रक्रिया और विधि
पायलोनिडल साइनस को कई तरीकों से ठीक किया जा सकता है। ये कारण इसकी गंभीरता और प्रभावित एरिया पर निर्भर करते हैं। हम यहां पायलोनिडल साइनस सर्जरी के विभिन्न तरीकों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
- सिस्ट से पस निकालने की प्रक्रिया: इस प्रक्रिया में सिस्ट वाले एरिया में एक छोटा सा चीरा लगाकर सिस्ट में भरी पस को बाहर निकाला जाता है। यह सारी प्रक्रिया मरीज को एनेस्थीसिया देकर पूर्ण की जाती है। एनेस्थीसिया प्रकार सिस्ट के आकार पर निर्भर करता है। इस पूरी प्रक्रिया को बेहद कम समय में पूरा कर लिया जाता है और मरीज को उसी दिन हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाती है।
- ओपेन सर्जरी: ओपन सर्जरी आमतौर पर बड़े आकार के सिस्ट का इलाज करने के लिए की जाती है। इस प्रक्रिया में साइनस को पूरी तरह से निकालकर अलग कर दिया जाता है। इसके बाद घाव को ठीक होने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। यह सारी प्रक्रिया मरीज को एनेस्थीसिया देकर पूरी की जाती है। ओपन सर्जरी में आमतौर पर समय अधिक लगता है। यही कारण है कि मरीज को एक से दो घंटे तक हॉस्पिटल में रखा जाता है। सर्जरी के बाद घाव को ठीक होने में करीब 6 से 12 सप्ताह का समय लगता है।
- क्लोज्ड सर्जरी: यह सर्जरी भी ओपन सर्जरी की तरह ही होती है। हालांकि यह सर्जरी बार-बार होने वाली पायलोनिडल साइनस के लिए इस्तेमाल की जाती है। इस सर्जरी के दौरान साइनस को पूरी तरह हटा दिया जाता है और प्रभावित क्षेत्र के दोनों ओर त्वचा का एक अंडाकार हिस्सा काटकर अलग कर दिया जाता है। इसके बाद टांके लगाकर चीरा वाले हिस्से को बंद कर दिया जाता है।
- एंडोस्कोपिक एब्लेशन: इस प्रक्रिया में प्रभावित क्षेत्र को स्पष्ट रूप से देखने के लिए एंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है। इसके एक सिरे पर कैमरा लगा होता है। प्रक्रिया के दौरान सिस्ट से बाल और संक्रमित ऊतक हटा दिए जाते हैं, और साइनस को अच्छी तरह से साफ कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान रोगी की रीढ़ की हड्डी में लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है। एंडोस्कोपिक एब्लेशन अन्य सर्जिकल प्रक्रियाओं की तुलना में कम इनवेसिव है क्योंकि इस प्रक्रिया में किसी तरह के कट की ज़रूरत नहीं होती। साथ ही इस प्रक्रिया में ज़ोखिम कम होता है और सफलता की दर अधिक है।
पायलोनिडल साइनस से होने वाले जोखिम और जटिलताएं
पायलोनिडल साइनस से निम्न जोखिम हो सकते हैं:
- बार-बार होने वाली पायलोनिडल सिस्ट की समस्या।
- संक्रमण या फोड़ा हो जाना।
- कैंसर की संभावना होना।
पायलोनिडल साइनस के ऑपरेशन के बाद देखभाल कैसे करें?
पायलोनिडल साइनस का इलाज कराने के बाद रोगी निम्न बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है:
- सर्जरी के बाद प्रभावित एरिया की समय पर ड्रेसिंग कराते रहें।
- घाव में नमी जमा न होने दें इसके संक्रमण बढ़ सकता है।
- ऐसी किसी भी चीज का सेवन करने से बचें जो संक्रमण को जन्म दे सकती है।
- डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं को समय पर लेते रहें।
- कोई भी भारी काम करने से बचें।
- साइनस की सर्जरी के रोगी को पूरी तरह से रिकवर होने के लिए 10 से 12 दिन का समय लग सकता है। इस दौरान अपने आहार को संयमित रखें।
पायलोनिडल साइनस ऑपरेशन के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?
पायलोनिडल साइनस सर्जरी के इलाज में लगने वाला समय इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। अगर साइनस अपनी प्रारंभिक स्थिति में है तो इसे सामान्य दवाओं के द्वारा ठीक किया जा सकता है। लेकिन यदि संक्रमण गंभीर है और इसे सर्जरी की आवश्यकता है तो इसे ठीक होने में चार से छः सप्ताह का समय लग सकता है। हालांकि यह समय बड़ी सर्जरी में लगता है। साइनस के सामान्य इलाज को ठीक होने में लगने वाला अधिकतम समय एक से दो सप्ताह का होता है।
पायलोनिडल साइनस ऑपरेशन का खर्च
भारत में पायलोनिडल साइनस सर्जरी की अनुमानित कीमत 40,000/- रुपये से लेकर 50,000/- रुपये के बीच हो सकती है। हलांकि यह खर्च मरीज के द्वारा चुने गए हॉस्पिटल और डॉक्टर के आधार पर कम या अधिक हो सकती है।
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पायलोनिडल साइनस ऑपरेशन के फायदे
इस सर्जरी को कराने से मरीज को निम्न फायदे हो सकते हैं:
- साइनस की लेजर सर्जिकल प्रक्रिया न्यूनतम इनेवेसिव है।
- इस सर्जरी के दौरान मरीज के सर्जिकल एरिया में अधिक कट नहीं लगाए जाते हैं। न ही इसमें हैवी ब्लीडिंग होती है।
- लेजर सर्जरी के जरिए रोगी को कोई अन्य नुकसान पहुंचाए बिना ही उसका इलाज किया जाता है। इससे किसी भी प्रकार का कोई अन्य संक्रमण नहीं होता है।
- इस सर्जरी के मरीज आसानी और जल्दी रिकवर हो जाता है और अपने सामान्य जीवन में वापस लौट सकता है।
- लेजर सर्जरी से शरीर पर कोई निशान नहीं बनता है।
पायलोनिडल साइनस का ऑपरेशन के डॉक्टर के पास कब जाएं
निम्न लक्षण दिखने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाने की सलाह दी जाती है:
- ऊपरी नितंब क्षेत्र में वृद्धि, घाव या पुटी/फोड़ा जैसी आकृति दिखना
- उक्त क्षेत्र से रक्तस्राव या मवाद निकलना
- वृद्धि के कारण दर्द और बेचैनी होना
- उक्त जगह पर सूजन और त्वचा का लाल होना
पायलोनिडल साइनस के ऑपरेशन के बाद क्या खाना चाहिए क्या नहीं
इन पदार्थों का सेवन करें
- प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ: प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दाल, मटर, बीन्स, सोयाबीन, पनीर और नट्स का सेवन करना चाहिए।
- हाई फाइबर युक्त आहार: फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे सब्जियां और फल पाचन को आसान बनाते हैं।
- लहसुन: लहसुन में एंटीबायोटिक और एंटीफंगल गुण होते हैं जो शरीर के इम्यून सिस्टम को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
- नट्स और बीज: बादाम, अखरोट, पिस्ता, अलसी, मेथी के बीज, चिया, कद्दू और सूरजमुखी के बीज जैसे नट्स और बीज मिनरल्स, विटामिन्स और फाइबर के साथ-साथ एंटीऑक्सिडेंट्स से भरे होते हैं। ये सभी सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
- हल्दी: हल्दी सूजन को कम कर सकती है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं।
- शहद: इसके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए इसे सुपरफूड के रूप में भी जाना जाता है। शहद एंटीसेप्टिक होने के साथ-साथ एंटी इन्फ्लेमेटरी यानी जलन रोधी भी होता है।
इन पदार्थों का सेवन न करें
- तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें: इनमें फैट यानी वसा बहुत अधिक मात्रा में होते हैं और ये वजन में बढ़ोतरी की वजह भी बनते हैं।
- जंक फूड से बचें: ये बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ होते हैं जिनमें पोषण की कमी होती है और ये स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में इजाफा कर देते हैं।
- मसालेदार भोजन से बचें: ये मल त्याग करते समय दस्त और दर्द के साथ ही आपके शरीर पर बहुत ज्यादा दबाव डाल सकते हैं।
- कैफीन: कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन करने से बचें। इनसे कब्ज की शिकायत बढ़ सकती है।
- स्मोकिंग से बचें: स्मोकिंग करने वालों में पाइलोनिडल साइनस की संक्रमण दर अधिक होती है।