हिस्टेरेक्टॉमी क्या है? - Hysterectomy kya hai
वर्तमान में बच्चेदानी संबंधित या अन्य प्रजनन संबंधित अंग को हटाने के लिए डॉक्टर हिस्टेरेक्टॉमी ऑपरेशन का सुझाव देते हैं। बच्चेदानी को निकालने के ऑपरेशन के बाद महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाएंगी। गर्भाशय की दो परत होती हैं, एक एंडोमेट्रियम व दूसरी मोमेट्रियम। हिस्टेरेक्टॉमी ऑपरेशन में बच्चेदानी को निकाल लिया जाता है। कुछ मामलों में अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या फिर गर्भाशय ग्रीवा को ही हटा दिया जाता है।
बच्चेदानी के ऑपरेशन के प्रकार
बच्चेदानी को निकालने के ऑपरेशन के कई प्रकार होते हैं। किस प्रकार के ऑपरेशन का प्रयोग होगा इसका निर्णय डॉक्टर मरीज के स्वास्थ्य के आधार पर ही लेते हैं। बच्चेदानी को निकालने के ऑपरेशन के चार प्रकार होते हैं -
- टोटल या सिंपल हिस्टेरेक्टोमी: इस हिस्ट्रेक्टोमी के प्रकार में डॉक्टर पूरी बच्चेदानी या फिर गर्भाशय ग्रीवा को ही निकाल लेते हैं। यदि स्थिति ज्यादा गंभीर है, तो अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब को भी निकाला जा सकता है।
- सब-टोटल या पार्शियल हिस्टेरेक्टॉमी: मेडिकल भाषा में इस प्रक्रिया को सुप्रसर्वाइकल हिस्टेरेक्टॉमी (supracervical hysterectomy) के रूप में भी जाना जाता है। इस ऑपरेशन में बच्चेदानी को आंशिक रूप से निकाला जाता है।
- रेडिकल हिस्टेरेक्टॉमी: इस ऑपरेशन में गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा, योनि के एक भाग और आसपास के लिगामेंट और ऊतकों को सर्जरी के द्वारा निकाल लिया जाता है।
- बाइलेट्रल सैल्पिंगो-ओफोरेक्टॉमी विद हिस्टेरेक्टॉमी: इस प्रक्रिया में, सर्जन के द्वारा अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब दोनों को हटा दिया जाता है।
बच्चेदानी को निकालने की आवश्यकता क्यों है?
निम्न स्थितियों में डॉक्टर बच्चेदानी के ऑपरेशन की सलाह दे सकते हैं -
- एंडोमेट्रिओसिस और एडिनोमायोसिस
- पीरियड्स में असहनीय दर्द जो अन्य उपचारों से ठीक न हो।
- गैर कैंसरयुक्त गर्भाशय में रसौली
- गर्भाशय में पॉलीप्स
- लम्बे समय से श्रोणि में दर्द जिसका इलाज दवाओं और अन्य उपचार से संभव न हो।
- गर्भाशय का कैंसर
- गर्भाशय में असामान्य ऊतकों की वृद्धि।
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बच्चेदानी के ऑपरेशन के लिए जाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें!
बच्चेदानी के ऑपरेशन से पहले रोगी को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे -
- सर्जरी से कम से कम 8 घंटे पहले तक कुछ भी खाने-पीने की सलाह नहीं दी जाती है।
- अपने वर्तमान या पूर्व की मेडिकल कंडीशन के बारे में डॉक्टर को सूचित करें।
- पूर्व और वर्तमान में चल रही दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को जानकारी दें।
- डॉक्टर कुछ दवाओं को बंद करने या नई दवाओं का सुझाव दे सकते हैं।
- यदि रोगी को कब्ज की समस्या है तो डॉक्टर को इसकी सूचना दें। वह इस स्थिति के लिए कुछ दवाओं का सुझाव दे सकते हैं।
बच्चेदानी के ऑपरेशन से पहले निदान
बच्चेदानी के ऑपरेशन से पहले डॉक्टर कुछ टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। इन परीक्षण के परिणाम डॉक्टर को रोगी के स्वास्थ्य को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकते हैं। निम्नलिखित परीक्षणों का सुझाव डॉक्टर के द्वारा दिया जा सकता है -
- मेडिकल हिस्ट्री - सबसे पहले डॉक्टर मरीज के द्वारा महसूस किए जा रहे लक्षणों के बारे में पूछते हैं।
- पैप टेस्ट - इस परीक्षण के माध्यम से डॉक्टर रोगी के शरीर में मौजूद असामान्य सर्वाइकल सेल्स के बारे में कुछ प्रश्न पूछ सकते हैं।
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड - अल्ट्रासाउंड के माध्यम से बच्चेदानी में सभी असामान्यताओं के बारे में पता चल सकता है। इस परीक्षण के द्वारा ओवेरियन सिस्ट, यूट्रस फाइब्रॉएड, या एंडोमेट्रियल पॉलीप्स के बारे में पता चल सकता है।
- बायोप्सी - इस परीक्षण में डॉक्टर एंडोमेट्रियल के ऊतकों में से एक नमूना लेते हैं और उसे लैब में जांचते हैं। इस परीक्षण का उद्देश्य एंडोमेट्रियल कैंसर या यूट्रस में किसी असामान्य कोशिकाओं की पहचान करना होता है।
बच्चेदानी के ऑपरेशन की चिकित्सा प्रक्रिया और विधि
बच्चेदानी के ऑपरेशन के लिए डॉक्टर दो प्रकार के ऑपरेशन का सुझाव देते हैं। वह या तो योनि के माध्यम से या फिर पेट के माध्यम से ऑपरेशन करते हैं। किस प्रकार के प्रक्रिया का प्रयोग होगा, इसका निर्णय डॉक्टर रोगी के स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर लेते हैं। चलिए दोनों प्रकार के ऑपरेशन के बारे एक एक करके समझते हैं -
दूरबीन से बच्चेदानी का ऑपरेशन
दूरबीन से बच्चेदानी का ऑपरेशन एक आधुनिक प्रक्रिया है, जिसे अंग्रेजी भाषा में लेप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी और कि होल सर्जरी के नाम से जाना जाता है। जैसा कि सब यह जानते हैं कि यह एक आधुनिक प्रक्रिया है जिसमें दर्द और रक्त हानि नहीं होती है और रोगी बिना किसी दर्द और असहजता के ठीक हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में छोटे चीरे के माध्यम से एक दूरबीन को डाला जाता है, जिसमें एक ऑप्टिकल फाइबर कैमरा लगा होता है, जिसके द्वारा ऑपरेशन सफलता से हो पाता है। प्रक्रिया में एनेस्थीसिया का प्रयोग होता है, जिसके कारण सर्जरी के दौरान रोगी को दर्द और असहजता नहीं होती है।
रोबोटिक हिस्टेरेक्टॉमी
यह सबसे आधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें एक रोबोट के द्वारा बच्चेदानी को निकालने का ऑपरेशन होता है। इस प्रक्रिया को एक विशेष प्रकार के उपकरण के द्वारा किया जाता है, जिसका नियंत्रण डॉक्टर के पास होता है। यह भी दूरबीन ऑपरेशन की तरह ही मिनिमल इनवेसिव प्रक्रिया है, जिससे रोगी को सर्जरी के बाद कम से कम असहजता होती है और वह जल्द से जल्द रिकवर हो जाता है।
ओपन हिस्टेरेक्टोमी
ओपन हिस्टेरेक्टोमी को ओपन सर्जरी कहा जाता है, जिसका उपयोग पिछले काफी समय से होता आया है। वर्तमान में ओपन सर्जरी का चुनाव अधिक डॉक्टरों के द्वारा नहीं किया जाता है, लेकिन ओपन हिस्टेरेक्टोमी का सुझाव कुछ चुनिंदा मामलों में ही दिया जाता है। ओपन सर्जरी के जोखिम कारक बहुत सारे होते हैं, जैसे - संक्रमण का अधिक खतरा, रक्त हानि, इत्यादि, जिसके कारण इस प्रक्रिया का सुझाव ज्यादा डॉक्टर नहीं देते हैं।
बच्चेदानी में ऑपरेशन की विधि
- सबसे पहले मरीज को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिससे मरीज को प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार के दर्द और असहजता का अनुभव नहीं होता है।
- इसके बाद पेट में चीरा लगाया जाता है। ओपन सर्जरी में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है, और रोबोट और दूरबीन से ऑपरेशन में छोटे छोटे चीरे लगाए जाते हैं। ओपन सर्जरी में चीरा प्यूबिक हेयर लाइन के ठीक ऊपर लगाया जाता है।
- चीरे का आकार रोगी के स्वास्थ्य स्थिति और अन्य कारकों पर निर्भर करेगा।
- इसके बाद बच्चेदानी को आस-पास के ऊतकों से अलग कर दिया जाता है और बच्चेदानी को निकाल लिया जाता है।
- बच्चेदानी को पूर्ण या फिर आंशिक रूप से शरीर से अलग अलग किया जाता है। इसका निर्णय भी डॉक्टर ही लेते हैं और निर्णय लेते समय रोगी के स्वास्थ्य स्थिति को ज़रूर देखा जाता है।
- प्रक्रिया के बाद चीरे को बंद करने के लिए टांके लगाए जाते हैं। ओपन सर्जरी के बाद पेट में कैथेटर लगाया जाता है, जिसके बाद रोगी को रिकवरी रूम में भेज दिया जाता है।
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