मेडिकल गर्भपात क्या है?
मेडिकल गर्भपात दवाओं के द्वारा गर्भावस्था को समाप्त करने की मेडिकल प्रक्रिया है। यह अनवांटेड प्रेगनेंसी को टर्मिनेट करने का सबसे लोकप्रिय विकल्प है। इसके जरिए 9 सप्ताह तक की प्रेगनेंसी को समाप्त किया जा सकता है। इसके बाद प्रेगनेंसी समाप्ती के सर्जिकल प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। मेडिकल गर्भपात में मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल दवाओं का उपयोग किया जाता है। ये दवाएं प्रोजेस्टेरोन नामक महिला हार्मोन के उत्पादन को रोकने का काम करती हैं। प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन रुकने से गर्भाशय में भ्रूण का विकास नहीं हो पाता और गर्भपात हो जाता है।
मेडिकल गर्भपात की आवश्यकता क्यों है?
मेडिकल गर्भपात कराने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसी स्थिति जिसमें महिला समय से पहले गर्भवती हो गई है लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं है या फिर अवांछित गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए मेडिकल गर्भपात की अवश्यकता होती है। इसके अलावा गर्भावस्था उन अवस्थाओं में भी चिकित्सीय गर्भपात पर विचार किया जा सकता है जिनमें प्रेगनेंसी के कारण महिला की जान को खतरा होता है। मेडिकल गर्भपात के अन्य कारण नीचे दिए जा रहे हैं।
- महिला के पेट में पल रहे भ्रूण का शारीरिक या मानसिक रूप से स्वस्थ न होना।
- गर्भावस्था के कारण महिला के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ना।
- रेप के कारण होने वाली प्रेगनेंसी।
- महिला की सामाजिक आर्थिक स्थिति।
- अगर गर्भनिरोधक के फेल हो जाने से महिला गर्भवती हुई हो।
- अगर गर्भपात महिला की सहमती से हो रहा हो।
मेडिकल गर्भपात कराने से पहले इन बातों का रखें ध्यान!
मेडिकल गर्भपात कराने वाली महिलाओं को शारीरिक और मानसिक तौर पर एक दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना होता है। यह कुछ हफ्तों तक जारी रहती है। ऐसे में उन्हें हर तरीके से खुद को तैयार रखने की आवश्यकता होती है। मेडिकल गर्भपात कराने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- मेडिकल गर्भपात कराने वाली महिलाओं को आराम करने का सुझाव दिया जाता है।
- गर्भपात कराना अपने आप में एक बहुत बड़ा फैसला होता है। कई बार यह मानसिक तनाव का कारण बन सकता है ऐसे में आपको मानसिक रूप से तैयार होने की आवश्यकता हो सकती है।
- गर्भपात कराने से पहले अपने पार्टनर से सलाह जरूर लें। इससे आपके बीच के मधुर संबंधों पर विपरीत असर पड़ सकता है।
मेडिकल गर्भपात की शल्य चिकित्सा प्रक्रिया और विधि
दवाओं के जरिए प्रेगनेंसी को समाप्त करने से पहले डॉक्टर आपकी सभी प्रकार की जांच कर सकता है। इसके जरिए वह यह पता करते हैं कि आप इस प्रक्रिया के शारीरित रूप से फिट हैं या नहीं। इसके बाद स्त्री रोग विशेषज्ञ इस प्रक्रिया के बारे में आपको सारी जानकारी देगा। चूंकि यह दवाओं पर आधारित प्रक्रिया है। ऐसे में आपको कौन सी दवा कब लेनी है और उसके लेने के बाद आपके शरीर में क्या बदलाव होंगे इसके बारे में आपको जानना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में आप इस ट्रीटमेंट से होने वाले जोखिमों के बारे में डॉक्टर से खुलकर सवाल भी कर सकती हैं।
चूंकि इसका उपचार पूरी तरह से दवाओं पर आधारित है। यही वजह है कि इसे एक गायनेकोलॉजिस्ट के निर्देश पर घर पर भी किया जा सकता है। यह पूरा ट्रीटमेंट दो गोलियों पर आधारित होता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ मेडिकल गर्भपात के लिए इसकी पहली गोली यानी की मिफेप्रिस्टोन को मौखिक रूप से दे सकता है। मिफेप्रिस्टोन गर्भाशय अस्तर से प्रोजेस्टेरोन को अवरुद्ध करती है और गर्भावस्था को आगे बढ़ने से रोकती है।
पहली गोली लेने के 24 से 72 घंटे बाद डॉक्टर आपको मिसोप्रोस्टोल नामक दूसरी गोली देता है। मिसोप्रोस्टोल गर्भाशय ग्रीवा को नरम कर गर्भ से भ्रूण को बाहर निकालने में मदद करती है। इन दवाओं को आखिरी पीरियड्स के पहले दिन से सात सप्ताह के भीतर लिया जाना चाहिए।
मेडिकल गर्भपात के जोखिम और जटिलताएँ
- अपूर्ण गर्भपात के बाद सर्जिकल गर्भपात की आवश्यकता हो सकती है।
- यदि ऑपरेशन विफल हो जाता है, तो अवांछित गर्भावस्था जारी रह सकती है।
- अधिक समय तक रक्तस्राव होना।
- संक्रमण
- बुखार
- पाचन तंत्र में असुविधा
- योनि से होने वाले स्त्राव से गंध आना
- पेट और पीठ में गंभीर दर्द होना
मेडिकल गर्भपात के ऑपरेशन के बाद देखभाल कैसे करें?
मेडिकल गर्भपात से बचने के निम्न उपाय नीचे दिए जा रहे हैं:
शारीरिक देखभाल:
- प्रक्रिया के बाद किसी व्यक्ति (मित्र या परिवार के सदस्य) को अपनी देखभाल के लिए बुलाएं।
- अपने आप को किसी भी ज़ोरदार काम में शामिल न करें।
- पेट में ऐंठन को कम करने के लिए हीट पैड का इस्तेमाल करें।
- पेट और पीठ के निचले हिस्से की हल्की मालिश करें।
- दर्द से राहत के लिए पर्चे के बिना मिलने वाली दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
भावनात्मक देखभाल:
गर्भपात के बाद, एक प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है जिससे मूड स्विंग होने लगता है। गर्भपात के बाद के चरण के दौरान चिंता, अवसाद और नींद संबंधी विकार और सामान्य मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। इनसे बचने के लिए आप निम्न उपायों को अपना सकती है।
- खुद को व्यस्त रखें और काम के लिए पर्याप्त समय निकालें।
- परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें।
- भावना को केवल अपने भीतर न रखें।
- चिकित्सीय गर्भपात के बाद रिकवरी बहुत जटिल नहीं है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होता है। देर से होने वाले गर्भपात के लिए रिकवरी में अधिक समय लग सकता है। यदि जटिलताएं विकसित होती हैं, तो ठीक होने में कई सप्ताह लग सकते हैं।
मेडिकल गर्भपात के ऑपरेशन के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?
मेडिकल गर्भपात एक लंबी प्रक्रिया है। इसकी पूरी प्रक्रिया में 2 से 3 सप्ताह का समय लग सकता है। इस उपचार के बाद मरीज 30 से 40 दिनों में रिकवर हो जाता है। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होता जो नीचे दी जा रही हैं।
- उपचार के दौरान होने वाले किसी भी प्रकार के संक्रमण की रोकथाम के लिए, गर्भपात वाले दिन से चिकित्सीय परामर्श के अनुसार दवाई लेनी चाहिए।
- योनि से रक्त स्त्राव बंद हो जाने के 2 दिन बाद तक संभोग और मास्टरबेट न करें।
- अगर आपके पेट में दर्द है तो आराम करें और पेट पर गर्म पानी की बोतल से सिकाई करें। दर्द से राहत पाने के लिए आप पेरासिटामोल और एब्रुप्रोफेन जैसी दर्द निवारक दवाएं भी ले सकते हैं।
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पीते रहें और बॉडी हाइड्रेट रखें।
- जैसे ही आपको बेहतर महसूस हो, आप अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकती हैं। आम तौर पर ऐसा 7 दिनों में हो पता है।
मेडिकल गर्भपात के ऑपरेशन का खर्च
भारत में मेडिकल गर्भपात की कीमत 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक हो सकती है। इन दवाओं को हमेशा स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही लेना चाहिए। देश के अलग-अलग हिस्सों में दवाओं की कीमत 4000 रुपये से लेकर 15000 रुपये तक हो सकती है।
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मेडिकल गर्भपात के ऑपरेशन के फायदे
- यह कोई सर्जिकल प्रक्रिया नहीं है। ऐसे में इसमें एनेस्थीसिया या किसी भी प्रकार का चीरा मरीज को नहीं लगाया जाता है।
- जैसे ही आपको पता चले कि आप गर्भवती हैं, चिकित्सीय गर्भपात किया जा सकता है।
- प्रक्रिया बहुत सरल है और केवल महिला को गर्भपात की गोलियाँ लेने की आवश्यकता है।
- एमटीपी अधिक स्वाभाविक लगता है।
- गर्भपात के तरीके में अस्पताल में भर्ती होना शामिल नहीं है और आप दवाएँ लेने के तुरंत बाद घर लौट सकते हैं।
मेडिकल गर्भपात का ऑपरेशन के डॉक्टर के पास कब जाएं
ऐसी महिलाएं जो बच्चा नहीं चाहती हैं, वे इस उपचार के विकल्प को चुन सकती हैं। लेकिन यह प्रक्रिया गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में ही संभव है। मेडिकल गर्भपात के लिए अधिकतम समय 9 सप्ताह है। यदि आपको आखिरी पीरियड्स 3 महीनें से अधिक समय पहले आया था या प्रेगनेंसी के कारण आपका पेट दिखने लगा है। इन परिस्थितियों में मेडिकल गर्भपात कराया जा सकता है। इस अवधि के बाद, मेडिकल गर्भपात प्रभावी नहीं है। इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सुरक्षा के लिहाज से देखें तो यह आवश्यक हैं कि 3 महीने से अधिक गर्भ की समाप्ति केवल अस्पताल में, विशेष उपकरणों से होनी चाहिए।
मेडिकल गर्भपात के ऑपरेशन के बाद क्या खाना चाहिए क्या नहीं
गर्भपात के बाद आपके आहार में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, आयरन, बी विटामिन और कैल्शियम शामिल शामिल होना चाहिए। फल और सब्जियां, साबुत अनाज, और कैल्शियम व आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। गर्भपात के बाद महिलाओं को अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, अदरक, लहसुन, तिल, सूखे मेवे व दूध को शामिल करना चाहिए। वहीं जंक, प्रोसेस्ड फूड और शुगर ड्रिंक्स का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही डॉक्टर से सलाह लेने के बाद विटामिन डी, आयरन और कैल्शियम जैसे सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
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