योनि में गांठ क्या है? । Bartholin cyst in Hindi
योनि में गांठ (Yoni me ganth) महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। यह योनि के द्वार में एक प्रकार की फुंसी की तरह होती है, जो योनि से निकलने वाले तरल पदार्थ या हवा से भरी होती है। यह गांठ या फुंसी योनि के दोनों साइड पर कहीं भी हो सकती है। योनि में गांठ के लक्षणों की बात करें तो आमतौर पर इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। हालांकि, सेक्स या व्यायाम करते समय, पैदल चलते समय या टेम्पोन के इस्तेमाल के दौरान दर्द महसूस हो सकता है। ऐसे में महिलाओं को साल में एक बार स्त्रीरोग विशेषज्ञ से जांच कराने की सलाह दी जाती है। अधिकांश मामलों में इसे इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन जब यह दर्द का कारण बन जाती है तो इसकी सर्जरी कराना एकलौता विकल्प रहता है।
योनि में गांठ के कारण । Causes of Bartholin cyst in Hindi
बार्थोलिन सिस्ट के निम्न कारण हो सकते हैं:
- योनि के वल्वा एरिया में चोट लगना।
- वल्वा एरिया में जलन होना या त्वचा की अतिरिक्त वृद्धि होना।
- क्लैमिडिया, गोनोरिया जैसे यौन संचारित संक्रमण।
- एशेरिकिया (ई. कोलाई) जैसे जीवाणु संक्रमण।
योनि में गांठ के लक्षण । Symptoms of Bartholin cyst in Hindi
योनि में गांठ की समस्याओं का इलाज इसके लक्षणों व इसकी गंभीरता के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के तौर पर:-
- सेक्स के दौरान दर्द होना।
- चलने, बैठने, या टॉयलेट का उपयोग करने के बाद टैम्पोन डालने या पोंछने पर असुविधा और दर्द होना।
- योनि क्षेत्र में सूजन होना।
- बुखार या ठंड लगना।
- योनि क्षेत्र में लालपन होना।
- सिस्ट के आकार में परिवर्तन होना।
योनि में गांठ के ऑपरेशन की आवश्यकता क्यों है?
योनि में गांठ को बार्थिलोन सिस्ट के रूप में भी जाना जाता है। यह सिस्ट, योनि में स्थिति बार्थिलोन ग्रंथि में रुकावट का कारण बनती है। बार्थिलोन ग्रंथियां तरल पदार्थ का रिसाव करती हैं जो योनि को चिकनाई देने में मदद करता है। किन्हीं कारणों से जब ये ग्रंथि बंद हो जाती है तो तरल पदार्थ बाहर नहीं निकल पाता और गांठ का रूप ले लेता है।
योनि में गांठ की सामान्य स्थिति का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के द्वारा किया जा सकता है। लेकिन इसकी गंभीर स्थिति में या जब इस गांठ के कारण योनि में दर्द होने लगता है तो, मरीज को ऑपरेशन की आवश्यकता हो सकती है।
डॉक्टर इसका इलाज समय पर कराने की सलाह देते हैं। इलाज में देरी या इलाज नहीं कराने के कारण योनि या योनि के आसपास के क्षेत्र में अधिक संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। यह गांठ बच्चे को जन्म देते समय, योनि में चोट लगने या अतिरिक्त रिसाव होने वाले लुब्रिकेंट के जमाव के कराण होती है।
योनि में गांठ के इलाज के लिए आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आप सीधे हमें चुन सकते हैं। हमारे यहां योनि की गांठ का ऑपरेशन अनुभवी स्त्रीरोग विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। हमारे पास भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों में बेहतरीन और सर्टिफाइड स्त्री रोग क्लीनिक्स हैं। हम एडवांस लैप्रोस्कोपिक और लेजर तकनीक के जरिए सबसे अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञों की मदद से यह ऑपरेशन करते हैं।
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योनि में गांठ के ऑपरेशन के लिए जाने से पहले ध्यान देने योग्य बातें!
योनि में गांठ का ऑपरेशन बेहद छोटी प्रक्रिया होती है। इसे कराने के बाद मरीज एक ही दिन में हॉस्पिटल से घर जा सकता है। योनि में गांठ का ऑपरेशन कराने से पहले मरीज को कई प्रकार की सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है। आगे हम आपको ऑपरेशन के दौरान ध्यान रखने योग्य प्रमुख बातों को बताने जा रहे हैं।
ऑपरेशन से पहले
- योनि की गांठ हटाने का इलाज शुरू करने से पहले स्त्री रोग विशेषज्ञ आपके चिकित्सा इतिहास के बारे में जानकारी ले सकते हैं। ऐसे में मौजूदा समय में आपके द्वारा ली जा रही दवाओं की जानकारी डॉक्टर को जरूर दें।
- मरीज के सही मूल्यांकन के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट का कर सकते हैं। ऐसे में मरीज को मानिसक रूप से तैयार होने की आवश्यकता होती है।
ऑपरेशन के दिन
- ऑपरेशन के दिन आपको कोई भी आहार या पेय पदार्थ नहीं लेना चाहिए।
- ऑपरेशन के लिए जाने से पहले अपने जेंटल एरिया को अच्छे से साफ कर लें।
- ऑपरेशन के दौरान आपको ढीले और आरामदायक कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।
ऑपरेशन के बाद
- ऑपरेशन के बाद करीब दो दिन तक सेक्सुअल एक्टिविटी से दूर रहें।
- पीरियड्स के दौरान टैम्पोन का इस्तेमाल न करें।
- टाइट कपड़े पहनने से बचें, जितना हो सके अपने प्राइवेट पार्ट को ढीले कपड़ों से कवर करें।
- ऑपरेशन के बाद अगले कुछ दिनों तक योनि में दर्द और बेचैनी हो सकती है। इससे घबराने की जरूरत नहीं है।
- लंबे समय तक बैठने पर बेचैनी हो सकती है जो धीरे-धीरे कम होने लगेगी।
- यदि पेशाब करते समय आपका पेशाब घाव के संपर्क में आता है तो जलन हो सकती है। इस बात का हमेशा ध्यान रखें।
- ऑपरेशन के बाद आपको मानसिक और शरीरिक थकान हो सकती है।
योनि की गांठ के टेस्ट क्या हैं?
योनि की गांठ का इलाज करने के लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट कर सकता है:
- सारी जानकारी के बाद डॉक्टर रोग की गंभीरता और गांठ के आकार की साइज का पता लगाने के लिए एमआरआई स्कैन, सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड जैसे टेस्ट कर सकते हैं।
- मरीज को रुटीन ब्लड टेस्ट से गुजरना पड़ सकता है।
- यौन संचारित रोगों की संभावना को देखते हुए डॉक्टर एसटीडी पैनल टेस्ट कर सकते हैं।
- योनि में अन्य प्रकार की आसमान्यताओं का पता लगाने के लिए गर्भाशय ग्रीवा का सैंपल भी लिया जा सकता है।
- 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में वल्वर कैंसर का पता लगाने के लिए सिस्ट के पास से टिश्यू का सैंपल लेकर बायोप्सी की जा सकती है।
योनि की गांठ का इलाज । Bartholin cyst treatment in Hindi
योनि में गांठ का इलाज निम्न तरीकों से किया जा सकता है:
- योनि की गांठ को हटाना: इस प्रक्रिया का इस्तेमाल तब किया जाता है जब रोगी को योनि कैंसर या बार-बार सिस्ट होने की समस्या होती है। हालांकि यह एक दुर्लभ स्थिति है, जो किसी-किसी मरीज में ही देखने को मिलती है।
- सर्जिकल ड्रेनेज: इस स्थिति में सिस्ट में चीरा लगाकर उसके अंदर जमा तरल पदार्थ को बाहर निकाला जाता है। यह प्रक्रिया जनरल एनस्थीसिया की मदद से किया जाता है। चीरा लगाने के बाद अगले कुछ हफ्तों के लिए मरीज को यूरिन पास करने के लिए छोटी रबर ट्यूब लगा दी जाती है। समस्या का निकारण होने के बाद इसे निकाल लिया जाता है।
- मार्सुपियलाइजेशन: यह योनि की गांठ को हटाने की एडवांस तकनीकी है। इसे लोकल या स्पाइनल एनेस्थीसिया की मदद से किया जाता है। इस सर्जरी प्रक्रिया में सर्जन एक चीरा के माध्यम से गांठ को बाहर निकालता है। इसमें बड़ा चीरा लगाया जाता जिसे टांके लगाकर बंद कर दिया जाता है।
- सिस्टेक्टोमी: सिस्ट के बार-बार होने पर या मार्सुपियलाइजेशन प्रक्रिया फेल होने पर और बायोप्सी के रिजल्ट संतोषजनक न आने पर सिस्टेक्टोमी की जाती है। इस प्रक्रिया में पूरी ग्रंथि को निकालकर कट या चीरा को बंद कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को रीजनल या जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग 15 मिनट से लेकर एक घंटे तक का समय लग सकता है।
योनि की गांठ की सर्जिकल प्रक्रिया और विधि । Surgical treatment of Bartholin cyst in Hindi
बार्थोलिन सिस्ट की निम्न सर्जिकल प्रक्रियाएं नीचे दी जा रही हैं:
- कार्बन डाइऑक्साइड लेजर: सर्जरी की यह प्रक्रिया लगभग सात मिनट में समाप्त हो जाती है। यह एक लेजर थेरेपी है जो कम आक्रामक है। इस प्रक्रिया को करने के लिए सबसे पहले मरीज को एंटीसेप्सिस और लोकल एनेस्थेटिक लगाया जाता है। इससे सर्जिकल साइट सुन्न हो जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड लेजर का उपयोग करके चीरा लगाया जाता है। इस चीरे के माध्यम से फोड़े के अंदर मौजूद लिक्विड को बाहर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में बार्थोलिन ग्रंथियों को बगैर नुकसान पहुंचाए सिस्ट को हटा दिया जाता है।
- नीडिल एस्प्रेशन: इस प्रक्रिया में सिस्ट को खाली करने के लिए एक सुई और सिरिंज का उपयोग किया जाता है। इसे अल्कोहल स्क्लेरोथेरेपी के साथ भी जोड़ा जाता है। इसमें सिस्ट को खाली कर दिया जाता है और 70% अल्कोहल तरल से भर दिया जाता है। पांच मिनट तक सिस्ट कैविटी में रहने के बाद इसे बाहर निकाल दिया जाता है।
- सिल्वर नाइट्रेट से दागना: सिल्वर नाइट्रेट का उपयोग रक्तस्राव को रोकने के लिए रक्त वाहिकाओं पर किया जाता है। इस प्रक्रिया में, सिल्वर नाइट्रेट की एक छोटी और ठोस रॉड का इस्तेमाल किया जाता है। पहले चरण में योनि और सिस्ट की दीवार को ढकने वाली त्वचा में चीरा लगाया जाता है। इसके बाद तरल पदार्थ निकाल दिया जाता है और सिल्वर नाइट्रेट की छड़ को खाली जगह में ही छोड़ दिया जाता है। सिल्वर नाइट्रेट और सिस्ट के अवशेष दो या तीन दिनों के बाद हटा दिए जाते हैं, या अपने आप बाहर आ जाते हैं।
- बार्थोलिन ग्रंथि को हटाना: इस प्रक्रिया का इस्तेमाल तब किया जाता है जब सिस्ट बार-बार होते हैं। इस प्रक्रिया में बार्थोलिन ग्रंथि को हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर एक घंटे तक चलती है और सामान्य एनेस्थीसिया के तहत की जाती है। इस प्रक्रिया से गुजरने वाले मरीजों को दो से तीन दिन अस्पताल में रहना पड़ सकता है।
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