पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी क्या है?
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी किडनी स्टोन का इलाज करने की एक सर्जिकल प्रक्रिया है। यह सर्जरी न्यूनतम इनवेसिव है जिसमें मरीज को बेहद कम दर्द होता है। इसके जरिए गुर्दे या मूत्राशय में स्थित बड़े साइज के यानी कि औसतन दो सेंटीमीटर से भी बड़े स्टोन को हटाया जाता है। इस साइज के किडनी स्टोन को इलाज की अन्य प्रक्रियाओं जैसे एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल) या यूरेटेरोस्कोपी के माध्यम से नहीं हटाया जा सकता है।
परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी एक छोटा चीरा लगाकर की जाती है। इस प्रक्रिया में तीन से चार घंटे का समय लग सकता है। अगर सर्जरी से होने वाले जोखिमों की बात करें तो इसमें पेशाब में रक्त आना, रक्त का थक्का बनना, संक्रमण और उपचार संबंधी अन्य समस्याएं शामिल हैं। इस सर्जरी से रिकवर होने में मरीज को दो से चार सप्ताह का समय लग सकता है।
किडनी स्टोन के बारे में जानकारी
किडनी स्टोन क्या है?
हम सभी जानते हैं कि हमारी किडना का मुख्य काम रक्त को छानना और उसमें मौजूद अपशिष्ट पदार्थों को निकालकर पेशाब के माध्यम से बाहर निकालना होता है। लेकिन जब खून में अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा अधिक हो जाती है। इस स्थिति में किडनी सही से काम नहीं करती और अपशिष्ट पदार्थ किडनी में ही जमा होने लगते हैं। आगे चलकर यह स्टोन का रूप ले लेते हैं। किडनी स्टोन खनिज और एसिड लवण से बनती है। आमतौर पर किडनी स्टोन पेशाब के जरिए शरीर से बहार निकल जाती है, लेकिन जब यह पेशाब के जरिये शरीर से बाहर नहीं निकल पाती तो मरीज को ऑपरेशन का सहारा लेना पड़ता है।
किडनी स्टोन के प्रकार
किडनी स्टोन निम्न प्रकार नीचे दिए जा रहे हैं:
स्ट्रवाइट स्टोन: इस प्रकार का स्टोन आकार में बड़ा हो सकता है। इसकी संभावना महिलाओं में अधिक होती है।
कैल्शियम स्टोन: कैल्शियम ऑक्सलेट के कारण होने वाला यह स्टोन, स्टोन्स का सबसे आम प्रकार है।
सिस्टीन स्टोन: इस प्रकार का स्टोन शरीर में मौजूद सिस्टीन नामक एसिड के कारण होता है।
यूरिक एसिड स्टोन: मूत्र में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक होने पर यूरिक एसिड स्टोन का निर्माण होता है।
किडनी स्टोन के कारण
किडनी स्टोन के निम्न कारण हो सकते हैं:
- पानी की कमी
- दवाओं का अधिक सेवन
- सिस्टिक फाइब्रॉइड्स, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज और ट्यूबलर एसिडोसिस जैसी पुरानी बीमारियां
- महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी के कारण स्टोन हो सकता है
किडनी स्टोन के लक्षण
किडनी स्टोन के निम्न लक्षण हो सकते हैं:
- पेशाब करते समय दर्द होना
- पेशाब के साथ खून आना
- पेशाब से दुर्गंध आना
- पेशाब में झाग बनना
- बार-बार पेशाब लगना
- यूरिन मार्ग में संक्रमण होना
क्या आप इनमें से किसी लक्षण से गुज़र रहे हैं?
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी की आवश्यकता क्यों है?
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी का इस्तेमाल किडनी स्टोन के ऐसे रोगियों में किया जाता है जिनको किडनी स्टोन के अन्य उपचार प्रक्रियाओं में आराम नहीं मिल रहा है। पीसीएनएल सर्जरी बड़ी साइज के किडनी स्टोन को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इस सर्जरी को कराने के निम्न कारण नीचे दिए जा रहे हैं।
- बड़ी साइज के स्टोन गुर्दे की संग्रहण प्रणाली की एक या एक से अधिक शाखाओं को अवरुद्ध कर देती है। इन्हें स्टैगहॉर्न किडनी स्टोन के रूप में जाना जाता है।
- गुर्दे की पथरी की साइज 0.8 इंच (2 सेंटीमीटर) व्यास से बड़ी होने पर पीसीएनएल सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
- आमतौर पर गुर्दे और मूत्राशय (मूत्रवाहिनी) को जोड़ने वाली नली में बड़ी साइज की स्टोन होती है।
- अन्य उपचार विफल हो गए हैं।
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी कराने से पहले ध्यान देने योग्य बातें!
परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी से पहले निम्न प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है:
सर्जरी से पहले
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डॉक्टर सबसे पहले मरीज के चिकित्सा इतिहास की जांच करेंगे। पिछली बीमारियों के अलावा मरीज द्वारा अगर वर्तमान में कोई दवा ली जा रही है तो उसके बारे में डॉक्टर रोगी से कुछ प्रश्न पूछेंगे।
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किडनी स्टोन के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करने के लिए डॉक्टर आपको जरूरी टेस्ट करने को कह सकते हैं। इनमें ब्लड टेस्ट, सीबीसी, एक्स-रे, सीटी स्कैन जैसे टेस्ट शामिल हैं।
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आपको सर्जरी से पहले की रात से खाना-पीना बंद करने को कहा जा सकता है।
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यदि आपको किसी भी प्रकार की एलर्जी है तो इसके बारे में आपको डॉक्टर से खुलकर बात करनी चाहिए।
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सर्जरी के 6 से 8 घंटे पहले कुछ भी न खाएं।
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यदि आप रक्त को पतला करने वाली दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर उन दवाओं को लेने से मना कर सकते हैं।
सर्जरी के एक दिन पहले
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सर्जरी से एक दिन पहले डॉक्टर आपको जरूरी सुझाव दे सकते हैं। इनमें सर्जरी के कुछ घंटे पहले भोजन न करना, आपके द्वारा ली जा रही दवाओं को बंद करना या अधिक मात्रा में पानी न पीना जैसे सुझाव शामिल हैं। दरअसल डॉक्टर आपकी किडनी की एक साफ तस्वीर देखना चाहते हैं। इसके लिए आपको खाली पेट रहना पड़ सकता है।
सर्जरी के दिन
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सर्जरी के दिन आपको एनेस्थेसियोलॉजिस्ट आपको सामान्य एनेस्थीसिया देकर बेहोश कर देगा ताकि सर्जरी के कारण आपको किसी भी प्रकार का दर्द न हो।
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एनेस्थीसिया देने के बाद मूत्र रोग विशेषज्ञ एक छोटा सा चीरा लगाकर किडनी में नेफ्रोस्कोप डालेंगे।
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मूत्र रोग विशेषज्ञ पथरी को हटाने से पहले उसे छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए लेजर या शॉक-वेव डिवाइस जिसे लिथोट्रिप्टर कहते हैं, का उपयोग कर सकते हैं।
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गुर्दे की पथरी को निकालने के बाद, मूत्र रोग विशेषज्ञ एक ड्रेनेज ट्यूब या यूरेटरल स्टेंट लगा सकते हैं।
सर्जरी के बाद
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सर्जरी के बाद कुछ हफ्तों तक भारी वस्तुएं उठाने या ज़ोरदार गतिविधियों में शामिल होने से बचें।
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इस सर्जरी के बाद मामूली असुविधा और सामान्य दर्द हो सकता है। इसके लिए डॉक्टर कुछ दर्द निवारक दवाएं दे सकते हैं।
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यदि आपको रक्तस्राव या अन्य असामान्यताएं हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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स्टोन्स के छोटे टुकड़ों को प्राकृतिक रूप से सिस्टम से बाहर निकालने में मदद करने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पियें।
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मल त्याग के दौरान कब्ज और तनाव से बचने के लिए फाइबर युक्त आहार लें। इससे आंतरिक उपचार प्रक्रिया को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी से जुड़ी जांच
- इमेजिंग परीक्षण जैसे एक्स-रे, पेट का अल्ट्रासाउंड, एमआरआई
- रक्त यूरिया नाइट्रोजन (बीयूएन) टेस्ट
- रक्त परीक्षण
- मूत्र-विश्लेषण
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी की शल्य चिकित्सा प्रक्रिया और विधि
पीसीएनएल सर्जरी शुरू करने के लिए, एक सुई को मूत्राशय में डाला जाता है। इस सुई की मदद से एक मार्ग बनाया जाता है जिसकी मदद से सर्जरी संबंधी आगे की प्रक्रिया की जाती है।
इस प्रक्रिया में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त एक सर्जन या रेडियोलॉजिस्ट सुई के स्थान का चुनाव करने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड छवियों का उपयोग करता है। सुई लगाने का काम ऑपरेटिंग रूम या रेडियोलॉजी विभाग में हो सकता है।
इसके बाद मूत्रमार्ग, मूत्राशय और मूत्रवाहिनी के माध्यम से गुर्दे में एक लचीली ट्यूब (कैथेटर) डाली जा सकती है। मूत्रमार्ग वह नली है जहां से मूत्र शरीर से बाहर निकलता है जबकि मूत्रवाहिनी गुर्दे को मूत्राशय से जोड़ने वाली नली है। इस कैथेटर के माध्यम से, आपका डॉक्टर किडनी में एक विशेष ट्रेसर पदार्थ डाल सकता है जो किडनी के अंदर संरचनाओं की रूपरेखा तैयार करता है ताकि इमेजिंग के दौरान वे बेहतर तरीके से दिखाई दे सकें या कैथेटर के माध्यम से एक छोटा कैमरा पिरोया जा सके, जो डॉक्टर को सुई देखने में मदद कर सके।
इसके बाद, सर्जन सुई के रास्ते में एक ट्यूब (म्यान) लगाता है। म्यान से गुजरने वाले विशेष उपकरणों का उपयोग करके, सर्जन किडनी में मौजूद स्टोन्स को तोड़ता है और उन्हें हटा देता है।
इसके बाद सर्जन इसी मार्ग में एक और ट्यूब, जिसे नेफ्रोस्टॉमी ट्यूब कहा जाता है, रख सकता है। नेफ्रोस्टॉमी ट्यूब ठीक होने के दौरान मूत्र को किडनी से शरीर के बाहर जाने जाने वाले बैग में प्रवाहित करने की अनुमति देती है। कुछ जटिल मामलों में यदि यदि स्टोन के टुकड़ों को दोबारा हटाने की आवश्यकता होती है, तो यह ट्यूब वहीं छोड़ दी जाती है।
अंत में सर्जरी के बाद निकले स्टोन्स को लैब में भेजा जाता है जहां इसके प्रकार की जांच की जाती है। इससे आपके डॉक्टर को भविष्य में होने वाली पथरी को रोकने के उपाय सुझाने में मदद मिल सकती है।
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी जोखिम और जटिलताएं
आमतौर पर सर्जरी यह प्रक्रिया बहुत सुरक्षित हुई है, लेकिन सर्जरी कराने वाले मरीज को किसी न किसी रूप में जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। पीसीएनएल सर्जरी से संबंधित निम्न जटिलताएं नीचे दी जा रही हैं:
- मरीज को एनेस्थीसिया का जोखिम हो सकता है।
- उपचार संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
- सर्जरी के मरीज को संक्रमण हो सकता है।
- हेमेटोमा यानी की रक्त का थक्क जमना।
- सर्जिकल साइट्स (सेरोमा) पर लिक्विड जमा होना।
- किडनी डैमेज हो सकती है।
- आस-पास के टिश्यू और अंग में चोट लग सकती है।
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी के ऑपरेशन के बाद देखभाल कैसे करें?
पीसीएनएल सर्जरी - परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी के ऑपरेशन के बाद मरीज को एक से दो दिनों तक हॉस्पिटल में रहने की आवश्कता हो सकती है।
- डॉक्टर द्वारा सुझाई दवाओं को समय पर लेते रहें।
- किसी भी प्रकार का दर्द होने पर या ब्लीडिंग की शिकायत होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई डाइट को फॉलो करें।
- कोई भी भारी काम करने से बचें।
- सर्जरी के बाद डॉक्टर, मरीज को 2 से 4 सप्ताह तक भारी वज़न उठाने के लिए मना कर सकते हैं।
- किसी भारी चीज को धक्का देने या कुछ भी चीज़ खींचने से बचने की आवश्यकता हो सकती है।
- सर्जरी के लगभग एक सप्ताह के बाद मरीज अपने काम पर लौटने में सक्षम हो सकता है।
- स्टोन्स के छोटे टुकड़ों को प्राकृतिक रूप से शरीर से बाहर निकालने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पियें।
- मल त्याग के दौरान कब्ज और तनाव से बचने के लिए फाइबर युक्त आहार लें। इससे आंतरिक उपचार प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है।
- चीरे वाली जगह पर भारी रक्तस्राव होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
- ऑपरेशन साइट पर गाढ़े रक्त के थक्के दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
- आपके पेशाब में गहरा खून आने पर डॉक्टर से संपर्क करें। इसे हेमट्यूरिया कहते हैं।
- 100 डिग्री फ़ारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) या इससे अधिक का बुखार होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
- संक्रमण, बुखार, ठंड लगना और दर्द बढ़ जाना जैसे शिकायत होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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